लाइन में लगकर ट्रैक्‍टर पर सोता किसान, क्‍योंकि आपके घर चीनी जो पहुंचानी है

धीमी गति से मिल में हो रही गन्ना पेराई। 340 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा गन्ना। तीन साल से हैं गन्ने के यही भाव रेट बढ़ाने की उठाई मांग। खेतों में खड़े सरप्लस गन्ना बना किसानों की चिंता।

By Pankaj KumarEdited By: Publish:Sun, 08 Nov 2020 11:00 AM (IST) Updated:Sun, 08 Nov 2020 11:00 AM (IST)
लाइन में लगकर ट्रैक्‍टर पर सोता किसान, क्‍योंकि आपके घर चीनी जो पहुंचानी है
50 हजार क्विंटल गन्ने की हो चुकी है पेराई।

पानीपत, जेएनए। आपके घर चीनी पहुंच सके, इसके लिए किसान लाइन में लगा हुआ है। गन्‍ने की फसल लेकर इस इंतजार में खड़ा रहता है कि कब उसका नंबर लगेगा, कब वो फसल देकर इसकी कीमत ले सकेगा। शुगर मिल में अब तक लगभग 50 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई हो चुकी है। रोजाना औसतन 15 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई हो रही है। लेकिन स्थानीय किसान पेराई की इस धीमी गति और कम रेट से संतुष्ट नहीं हैं।

मिल में गन्ना लेकर पहुंचे किसान दिनभर अपना नंबर आने के इंतजार में रहते हैं। कुछ किसानों का तो देर रात को नंबर आता है। किसान फुरकान, फरमान, शाकीर, सादिक, संजय अशोक, सतपाल, नरेश, काला, मनोज ने जागरण बताया कि मिल की मशीनें 63 साल पुरानी हो चुकी हैं। अधिकारी और नेता पिछले सत्र से नई शुगर मिल चालू कराने और गन्ने के रेट में बढ़ोत्तरी कराने का आश्वान दे रहे हैं। आज तक भी गन्ने के भाव में कोई तेजी नहीं आई है। इस 64वें पेराई सत्र में मिल में 340 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गन्ना लिया जा रहा है। पिछले तीन साल से गन्ने का ये ही भाव होने का दावा किया।

महंगाई ने तोड़ी कमर

किसानों ने बताया कि साल दर साल खेतीबाड़ी महंगी होती जा रही है। खाद, बीज, किटनाशक, स्प्रे, कृषि उपकरण आदि में पिछले तीन साल में लगभग 20 फीसद तक बढ़ोत्तरी हो गई है। डीजल के दाम से भी तेजी से बढ़ रहे है। उन्होंने जल्द ही महंगाई पर रोक नहीं लगने पर खेतीबाड़ी छोडना किसान की मजबूरी बताया।

सरप्लस गन्ने ने बढ़ाई चिंता

किसान मेहरबान ने बताया कि वह चाचा नरेश का दो ट्राली गन्ना लेकर मिल आया है। खेत में 8-10 हजार क्विंटल सरप्लस गन्ना खड़ा है। पेराई सत्र के आखिर में इस गन्ने को दूसरे मिलों में ले जाने की पर्ची मिलेगी। तब तक गन्ना सुखने लगता है। अधिकारियों को शुरुआत में ही सरप्लस गन्ने की पर्ची देनी चाहिए, ताकि किसान को नुकसान ना हो।

chat bot
आपका साथी