पराली प्रबंधन के लिए जागरूक हों किसान : डा.राजवीर पन्नू
पानीपत जिले में धान व गेहूं फसल चक्र है जिसमें काफी मात्रा में फसल अवशेष पैदा होते हैं। खासकर धान की कटाई के बाद खेत में पराली बच जाती है। इसका सफल प्रबंधन करना अति आवश्यक है।
संवाद सहयोगी, सनौली : ऊझा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में फसल अवशेष प्रबंधन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस दौरान क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान करनाल के क्षेत्रीय निदेशक डा.राजवीर पन्नू ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत।
उन्होंने कहा कि पानीपत जिले में धान व गेहूं फसल चक्र है, जिसमें काफी मात्रा में फसल अवशेष पैदा होते हैं। खासकर धान की कटाई के बाद खेत में पराली बच जाती है। इसका सफल प्रबंधन करना अति आवश्यक है। धान की कटाई व गेहूं की बिजाई के बीच काफी कम समय मिलता है, जिसके कारण किसान फसल अवशेष अच्छी तरीके से प्रबंधन नहीं कर पाते हैं। आग लगा देते हैं, जिससे काफी मात्रा में प्रदूषण फैल जाता है। जमीन के आवश्यक तत्व नष्ट हो जाते हैं। साथ इससे उठने वाले धुएं से सड़क दुर्घटना होने का डर भी बना रहता है। पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक होना अति आवश्यक है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व वरिष्ठ संयोजक डा.राजवीर गर्ग ने बताया कि केंद्र द्वारा तीन प्रशिक्षण शिविर शुरू किए गए हैं। प्रत्येक प्रशिक्षण में 25-25 प्रतिभागी होंगे। जिले के 75 किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस मौके पर डा. आशीष कुमार, सतपाल सिंह गोयला खुर्द, रामकुमार, विक्रम सिंह, विकास, सुरेंद्र मौजूद रहे।