कुरुक्षेत्र के किसानों ने आंदोलन से बनाई दूरी, सरसों ने किया मालामाल

धान और गेहूं की खेती जीटी रोड बेल्ट के जिलों में प्रमुखता से होती है। इस सीजन में सरसों की चमक किसानों के चेहरों पर देखने को मिली। सरसों का रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक है। एमएसएपी से 1500 रुपये ज्‍यादा कीमत मंडी में मिल रही है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 05:09 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 05:09 PM (IST)
कुरुक्षेत्र के किसानों ने आंदोलन से बनाई दूरी, सरसों ने किया मालामाल
कुछ किसानों ने धान की बजाय गन्ने की खेती का फैसला लिया। खेत खाली छोड़ने की बजाय सरसों उगाई।

कुरुक्षेत्र [जगमहेंद्र सरोहा]। एक तरफ कृषि सुधार कानून के खिलाफ आंदोलन हो रहा है। किसान दिल्ली बार्डर पर धरना जमाए हैं। दूसरी तरफ हरियाणा के ऐसे भी किसान हैं, जो खेती से ही उन्‍नति का रास्‍ता निकाल रहे हैं। कुरुक्षेत्र में किसानों ने कुछ महीने जमीन खाली छोड़ने की बजाय सरसों की बिजाई की। अब यही सरसों उनको मालामाल कर रही है। एमएसएपी से 1500 रुपये ज्‍यादा कीमत मंडी में मिल रही है।

धान और गेहूं की खेती जीटी रोड बेल्ट के जिलों में प्रमुखता से होती है। किसान इन दोनों फसलों को छोड़कर तीसरी फसल को अपनाना नहीं चाहते। हालांकि कुरुक्षेत्र के कुछ किसान आलू व फूलों के अलावा सब्जी की खेती करते हैं। इन सबके बाद गेहूं व धान की खेती को ज्यादा पसंद करते हैं। इन सबके बीच इस सीजन में सरसों की चमक किसानों के चेहरों पर देखने को मिली। सरसों का रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक है।

धान में मुर्झाए चेहरे पर सरसों की रंगत

इस पर धान का अपेक्षाकृत रेट मिल पाया था। पिछले साल धान 3500 से 4000 रुपये तक गया था। इस बार 2500 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा था। बासमती धान के रेट कुछ मिले थे। धान उत्पादक किसानों के इस बार चेहरे मुर्झा गए थे। इनमें से कुछ किसानों ने धान की बजाय गन्ने की खेती शुरू करने का फैसला लिया। अब सीजन में खेत खाली छोड़ने की बजाय किसानों ने सरसों की बिजाई की। जिले में इस बार 3750 हेक्टेयर में सरसों की फसल है। यह गत वर्ष मात्र 2850 हेक्टेयर में थी।

 अबकी बार किसान व व्यापारी खुश

थानेसर मंडी में पहुंचे गांव लौहार माजरा से किसान सूबे सिंह ने बताया कि अबकी बार सरसों की फसल से किसान व व्यापारी दोनों खुश है।किसानों को अच्छा रेट मिल रहा है। इसका मुख्य कारण बाजार में तेल के रेटों में बढ़ौतरी है। उनका कहना है कि किसानों की मांग जल्द मान लेनी चाहिए। ताकी सीजन में किसान अपनी फसलों पर ध्यान दे सकें। ।

धान और गन्ने के बीच में उगाई सरसों

गांव अढ़ोण के किसान सुधीर चौधरी ने बताया कि धान के बाद गन्ने की खेती करनी थी। ऐसे में तीन महीने खेत खाली नहीं छोड़ा। उसने इसमें सरसों की बिजाई की। होती है। अबकी बार सरसों को एमएसपी से अधिक मूल्य मिल रहा है। पिछली बार एमएसपी से भी कम मूल्य मिला था। सरकार का एमएसपी सरसों पर अबकी बार 4650 रुपये प्रति क्विंटल है। लेकिन आज सरसों 5600 से अधिक मूल्य पर बिक रही है।

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