ये हैं जींद के 21 गांव के किसान, सभी मिलकर चलाते हैं सब्जी मंडी, खुद ही तय करते भाव

हरियाणा के जींद में 21 गांव के किसान सब्‍जी मंडी चलाते हैं। ये किसान खुद ही अपनी सब्जियों का भाव तय करते हें। गांव में 50 से ज्यादा किसान गाजर की खेती करते हैं। सड़क किनारे सब्‍जी रख कर बेचते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 05:58 PM (IST)
ये हैं जींद के 21 गांव के किसान, सभी मिलकर चलाते हैं सब्जी मंडी, खुद ही तय करते भाव
जींद में 21 गांव के किसान खुद की सब्‍जीमंडी लगाते हैं।

पानीपत/जींद, [बिजेंद्र मलिक]। शहर के साथ लगता ईक्कस गांव, जो गाजर की सब्जी के उत्पादक के तौर पर अपनी पहचान बना चुका है। यहां के किसान सरकार द्वारा संचालित सब्जी मंडी पर निर्भर नहीं हैं। गाजर बेचने के लिए शहर सब्जी मंडी नहीं जाते। पिछले 10 साल से वे खुद ही गांव में सब्जी मंडी चलाते हैं। जहां भाव भी खुद तय करते हैं और सुबह-शाम सब्जियों की बोली लगवाते हैं। अच्छा भाव मिलने के कारण ईंटल, ईंटल खुर्द जाजवान, कोथ, किन्नर नाड़ा, रामराये, भैण, गतौली, बुढ़ाना, बधाना, गतौली समेत काफी गांव के सब्जी उत्पादक किसान यहां गाजर बेचने आते हैं।

गांव के ही कुछ लोग किसानों ने गाजर खरीदते हैं और जींद-हांसी और जींद-बरवाला रोड चौक पर मंडी लगा कर सब्जी बेचते हैं। यहां से गुजरने वाले लोग बाइक, गाड़ी रोक कर सब्जियां खरीद ले जाते हैं। जिससे हाथों-हाथ सब्जियां बिक जाती हैं। अगस्त से नवंबर-दिसंबर तक गाजर की बिजाई होती है और मार्च तक उत्पादन होता है। तीन माह में ही गाजर की सब्जी तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 70 से 80 हजार रुपये की बचत आती है।  

किसानों को होता नगद भुगतान

किसान छोटूराम ने बताया कि वह पिछले करीब 30 साल से गाजर की खेती करता है। साथ ही गाजर बिजाई करने और गाजर धोने की मशीन भी उसके पास है। किसान उसके पास गाजर धुलाई के लिए लाते हैं। धुलाई के बाद वह किसानों से गाजर खरीद कर उन्हें नकद भुगतान कर देता है और यहां सड़क किनारे मंडी लगाकर बैठने वालों को दे देता है। वह खुद भी मंडी लगाकर बैठता है। इस सीजन में प्रति किलो 10 से 12 रुपये किलो गाजर बिकी। 

मंडी में नहीं मिलता था पूरा भाव

किसान सुरेश कुमार, छोटूराम, रोहताश, दिलबाग ने बताया कि पहले वे गाजर लेकर शहर सब्जी मंडी जाते थे। जहां औने-पौने भाव पर सब्जी बिकती थी। यहां मंडी से दोगुने भाव मिलते हैं। गांव में से हाईवे पर वाहनों का काफी आवागमन है। इसलिए सड़क किनारे ही अपनी सब्जियां रख कर बेचनी शुरू कर दी। जिससे भाव भी अच्छे मिलने लगे। यहां से ताजी सब्जियां खरीदने के लिए बस व बड़ी गाडिय़ां भी रुकती हैं। शादी व अन्य समारोह के लिए भी लोग सब्जी खरीद कर ले जाते हैं।

लोगों को मिला रोजगार

गांव में सब्जी मंडी लगाने से किसानों को तो फायदा हुआ ही। साथ ही गांव के काफी अन्य लोगों को भी रोजगार मिला। जिन्होंने शहर से फल व अन्य सब्जियां भी लाकर बेचना शुरू कर दिया। रूप, संदीप ढुल, बलवान बेरवाल, रोहताश जलंधरा समेत कई लोग यहां फल व सब्जियों की दुकान लगाते हैं। मार्केट फीस भी नहीं देनी पड़ती। जिससे किसानों के साथ ग्राहकों को भी फायदा होता है। 

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