किसान मायूस, लॉकडाउन की मार, सब्जी उत्पादक खुद ही नष्ट कर रहे फसल
सब्जी उत्पादक किसान मायूस हो रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से सब्जी उत्पादकों नुकसान हो रहा है। ऐसे मे सब्जी उत्पादक अब खुद ही फसल को खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं। सब्जी के दामों की तरह गिरी भावांतर योजना।
करनाल, जेएनएन। किसान परेशान हैं। सब्जियों के दामों की तरह भावांतर भरपाई योजना भी औंधे मुंह गिर चुकी है। किसान योजना में निर्धारित किए गए सब्जियों के भाव से कम रेट पर अपनी सब्जी की उपज बेच रहे हैं तो कई किसान अपनी फसल नष्ट करने को मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि यह योजना सिर्फ कागजों तक सीमित है और उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा।
वहीं लॉकडाउन की मार से सब्जियों की डिमांड और भाव गिर चुके हैं, मंदी की मार झेल रहे किसान अपनी सब्जियों की फसलों को नष्ट करने लगे हैं। किसानों का कहना है कि मंडी में फसल बेचने के बाद सब्जी की तुड़ाई और मंडी ले जाने खर्च भी पूरा नहीं होता, इसलिए सब्जियों को खेत में बर्बाद करना उनकी मज़बूरी बन गई है।
कोरोना महामारी के कारण देश भर में चल रहे लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादक किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों के लिए पैदा हुए विकट हालतों में सरकार की योजना नुकसान की भरपाई नहीं कर रही। खेतों में टमाटर, फूल गोभी, खीरा, धनिया, करेला व अन्य सब्जियों की अच्छी फसल होने के बावजूद किसान अपनी सब्जी की फसल को नष्ट कर रहे हैं।
किसान राजबीर, जगदीश, चन्दन, जोगिंदर व शीशपाल ने बताया कि मंडी में सब्जी डिमांड बहुत कम हो गई है जिस वजह से आधे रेट पर भी सब्जी के खरीददार नहीं मिल रहे। किसानों ने कहा कि सब्जी पर कीटनाशकों के स्प्रे, तोडऩे की लेबर व मंडी ले जाने का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा। ऐसे में रोजाना घाटा उठाने की बजाए उन्होंने अपनी फसलें नष्ट करके धान व अन्य फसलें लगाने की तैयारी कर दी है। गांव मुबारकाबाद, बरसत व चौरा समेत कई अन्य गांवों में सब्जी उत्पादक किसान अपनी सब्जियों की पैदावार को खेत में ही नष्ट कर रहे हैं।
योजना से मुंह मोड़ रहे किसान
मुबारकाबाद एफपीओ के प्रधान जोगिन्दर सिंह ने बताया कि उनके एफपीओ में छह गांवों के 250 से अधिक सब्जी उत्पादक किसान जुड़े हुए हैं। भावान्तर योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना और उसके बाद प्रतिदिन मंडी आढ़ती से जे-फ़ार्म लेकर मार्केट कमेटी में जमा करवाना किसानों के लिए सम्भव नहीं है। बीते वर्ष योजना के तहत रजिस्टर्ड हुए किसानों को सब्सिडी व भावान्तर का पैसा नहीं मिला। जिस वजह से किसानों ने योजना से मुंह मोड़ लिया है और किसानों ने योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना भी छोड़ दिया है।
ये है योजना में निर्धारित भाव और मौजूदा रेट
भावान्तर भरपाई योजना में 19 किस्म के सब्जियों व फलों के न्यूनतम भाव तय किए गए हैं। इसमें गर्मियों के सीजन की सब्जियों में शामिल फूलगोभी 750 रुपये प्रति क्विंटल, टमाटर पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल, शिमला मिर्च 900 रुपये प्रति क्विंटल, घिया 450 रुपये प्रति क्विंटल, करेला 1350 रुपये प्रति क्विंटल, हरी मिर्च 950 रुपये प्रति क्विंटल व भिन्डी के लिए 1050 रुपये प्रति क्विंटल का भाव निर्धारित किया गया है। जबकि लॉकडाउन में सब्जियों के भाव औंदे मुहं गिर चुके है।
एफपीओ के प्रधान जोगिन्दर सिंह ने बताया कि किसान को मंडी में करेला 7 रुपये, फूलगोभी 4 रुपये, शिमला मिर्च 4 रुपये, टमाटर डेढ़ रुपये, घिया 5 रुपये व भिन्डी का 15 रुपये किलो रेट मिल रहा है। भिन्डी को छोड़कर बाकी सब्जियों की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन चुकी है।
जिला बागवानी अधिकारी मदन लाल ने बताया कि भावान्तर भरपाई योजना और मेरा फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल से जोड़ दिए गए हैं। लॉकडाउन में सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई है जिससे किसानों को अपनी सब्जी की फसल बेचने में दिक्कत आ रही है। रेट के कारण किसानों ने सब्जियों की तुड़ाई छोड़ दी है। फसल नष्ट करने का मामला उनकी जानकारी में नहीं है। सब्जी उत्पादक किसानों की दिक्कतों के बारे में उपायुक्त को पत्र लिखा गया है।
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