किसान हो जाएं सतर्क, धान की फसल पर पड़ सकता असर, 60 फीसद तक कम पैदावार

धान के किसान समय रहते सतर्क हो जाएं। कहीं ऐसा न हो कि धान की पैदावार 40 से 60 फीसद तक कम हो। खरपतवार नियंत्रण के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। सावक मस्ट्रा मोथा डीला मकड़ा खरपतवार उगते है धान में।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 08:59 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 08:59 AM (IST)
किसान हो जाएं सतर्क, धान की फसल पर पड़ सकता असर, 60 फीसद तक कम पैदावार
खरपतवार से धान की फसल को बचाने की जरूरत।

कैथल, जागरण संवाददाता। धान फसल में उगने वाले खरपतवार नियंत्रण के प्रति धान किसान सचेत रहिए। क्योंकि आपके खेत में खरपतवार की समय पर रोकथाम नहीं हुई तो उपज में 40 से 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। पहली निराई रोपाई के 15 दिन बाद तथा दूसरी निराई 15 दिन बाद हाथ या पेडीवीडर से जरूर करें। घास पर नियंत्रण न करने से पौधों के कल्लों में कमी आ जाएगी और धान फुटाव कम करेगी। इसलिए खरपतवार नियंत्रण करना जरूरी है। खरपतवार पर रोकथाम करके किसान धान की अधिक पैदावार ले सकते हैं।

ये खरपतवार आते है धान की फसल में

धान में सावक, मस्ट्रा, मोथा, डीला, मकड़ा जैसे घास जाति के कई मिले जुले खरपतवार उगते हैं। इनकी समय से रोकथाम न हो तो पैदावार पर असर पड़ता है।

ऐसे करें खरपतवार नियंत्रण

रोपाई वाली धान में ब्यूटाकलोर या पेडीमैथालिन दवा की 1.2 लीटर मात्रा अथवा प्रेटिलाकलोर 50 ई.सी. की 800 मि.ली. या अनिलोफोस 30 ई.सी. की 530 मिली मात्रा प्रति एकड़ की दर से किसी एक दवा को रेत में मिलाकर पानी में एकसाथ बिखेर दें। दवा डालने के दो दिन तक खेत में पानी खड़ा रखें। इसके बाद मिले-जुले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 100 मि.ली. नोमिनीगोल्ड 10 एसएल दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधारोपण के 15 से 25 दिन बाद प्रति एकड़ छिड़कें। मोथा या डिल्ला खरपतवार की रोकथाम के लिए 20 से 25 दिन बाद 50 ग्राम ईथोथ्सी सल्फयूरान को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। रसायनों का इस्तेमाल सिफारिश की गई मात्रा और सही समय पर करें। दूसरी बार नोमिनी गोल्ड, एंडूरा या पारस नामक दवा का प्रयोग 100 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए। दवा छिड़कने के चार घंटे तक धूप खिली मिलने पर दवा और भी प्रभावी हो जाती है।

सीधी बिजाई धान में नियंत्रण

सीधी धान बिजाई के नियंत्रण के लिए 1300 मि.ली. टाटा पनीड़ा 30 प्रतिशत ई.सी. दवा प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। बिजाई से तीन दिन बाद 50 ग्राम टोपस्टार 80 प्रतिशत धुपा. दवा प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। बिजाई के 15 से 25 दिन बाद विस्पाइरीबैक सोडियम दवा की 100 मि.ली. मात्रा 120 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ करें। 25-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई भी कर दें।

कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि खरीफ की मुख्य फसल धान में घास नियंत्रण सबसे जरूरी है। इस को रोकने के लिए खेत की मेढ़ की सफाई जरूर रखें, खेत के पानी को सूखाते रहे। काई खेत में जमा न होने दें। डाक्टरों की सलाह से दवाई का छिड़काव करते रहे।

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