हरियाणा में किसानों को नहीं मिल रही डीएपी खाद, इन फसलों पर पड़ सकता है असर
हरियाणा में किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही है। कई जिलों में फसलों पर इसका असर पड़ सकता है। बिजाई देरी से होगी। करनाल में भी लहसुन-सरसों की बिजाई में देरी हो रही है। हालांकि सरकार का कहना है कि जल्द ही पर्याप्त खाद मिल जाएगी।
करनाल, जागरण संवाददाता। किसानों पर मौसम की मार के साथ-साथ मंडियों में धान बेचने के लिए भटकना पड़ रहा है। इस कड़ी में डीएपी खाद की बड़ी समस्या सामने आने लगी है। फसल अवशेष प्रबंधन में व्यस्त कृषि विभाग क्षेत्र के किसानों को डीएपी (डाइ अमोनियम फासफेट) खाद उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। जिलेभर में लगभग सभी सहकारी समितियों व खाद की दुकानों पर खाद नहीं मिल रही है। धान कटाई के बाद लहसुन, सरसो, तोरिया, बरसीम बिजाई का सीजन है और इन फसलों में बिजाई के साथ ही डीएपी खाद डालना जरूरी है। समितियों में पिछले 12 दिन से किसान खाद के लिए चक्कर काट रहा है, लेकिन अधिकारी गंभीर नहीं हैं। दवा विक्रेताओं की माने तो खाद की किल्लत का कारण प्रति बैग पर सरकार 1200 रुपए सब्सिडी दे रही है, जिससे सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
लहसुन की बिजाई में हो रही देरी
घरौंडा के अमृतपुर कला के गांव जोगेंद्र ने बताया कि धान कटाई के बाद लहसुन की बिजाई की तैयारी की है। सहकारी समिति में जानकारी मिली की खाद खत्म है। खाद न मिलने के कारण उसकी लहसुन की बिजाई काफी लेट हो रही है। इसी तरह, घीड़ के किसान अंग्रेज सिंह ने बताया कि 12 दिन से समितियों में डीएपी खाद नहीं मिल रही है। कई बार चक्कर काट चुके हैं। सरसो की फसल बिना खाद बीजना मजबूरी बनी हुई है। बाजार में किसानों के साथ खाद की कालाबाजारी का खेल खेला जा रहा है जबकि अधिकारी आंख बंद करके बैठे हैं।
अभी डीएपी खाद की आवश्यकता कम : आदित्य
सहकारी समिति नेवल के मैनेजर बीर सिंह ने बताया कि पिछले करीब दस दिन से डीएपी खाद खत्म है। उच्चाधिकारियों से चर्चा में जानकारी मिली है कि जल्द ही स्टाक भेजा जाएगा। खाद न होने के कारण किसान खाली हाथ लौट रहे हैं। इफको के क्षेत्र प्रबंधक निरजंन सिंह ने बताया कि 15 अक्टूबर तक सभी सहकारी समितियों सहित शहर की दुकानों पर डीएपी खाद पहुंचा दी जाएगी। फिल्हाल किसी फसल में डीएपी खाद की जरूरत नहीं है। कृषि विभाग डिप्टी डायरेक्टर आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि डीएपी खाद कंपनी से नहीं आ रही है। इफको का स्टाक जल्द पहुंच जाएगा जबकि एनपीके बाजार में उपलब्ध है। डीएपी की जरूरत अभी करीब 15 दिन के बाद गेहूं बिजाई में पड़ेगी। इससे पहले किसानों को स्टाफ उपलब्ध हो जाएगा।