Kapalmochan Mela : कपालमोचन में कण-कण में बसी आस्था, देश के कोने-कोने से आ रहे श्रद्धालु

यमुनानगर कपालमोचन मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु अपनी आस्‍था लेकर कपालमोचन के सरोवरों में स्‍नान करने पहुंच रहे हैं। दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचकर होते हैं नतमस्तक कई-कई साल से मेले में पहुंचने का सिलसिला जारी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 17 Nov 2021 04:51 AM (IST) Updated:Wed, 17 Nov 2021 06:34 AM (IST)
Kapalmochan Mela : कपालमोचन में कण-कण में बसी आस्था, देश के कोने-कोने से आ रहे श्रद्धालु
कपालमोचन मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु आ रहे हैं।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बेटे की शादी जल्द हो। इसके लिए मेले से सेहरा खरीदते हैं। घर पर बेटेा जन्म हो। सूरजकुंड सरोवर पर बैरी के पेड़ में धागा बांध कर मन्नत मांगी जाती। सुख समृद्धि के लिए श्रद्धालु सरोवरों में डूबकी लगाते हैं। ऐतिहासिक स्थल कपालमोचन के कण-कण में आस्था है। अलग-अलग राज्यों से पहुंचे कोई श्रद्धालु यहां नतमस्तक होते हैं। मेला स्थल इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है। दूर-दराज से यहां श्रद्धालु खींचे चले आते हैं। कोई यहां पर 50 साल से आ रहा है तो कोई 22 साल से। यहां आकर कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवर में आकर स्नान करते हैं। पांच दिन तक मेले में रहकर न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि लोगों की सेवा भी करते हैं।

संगरूर से आए 90 वर्षीय प्रीतम सिंह व तारा सिंह ने बताया कि वह हर वर्ष कपालमोचन मेला में माथा टेकने आते हैं। उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। उनका कहना है कि यहां पर हमारे गुरुओं ने अपना समय बीताया था। इसलिए यहां पर गहरी आस्था है। वंश आगे बढ़े इसके लिए यहां से पिडी खरीदी है। नारायणगढ़ निवासी 59 वर्षीय हरबंस कौर ने बताया कि वह 40 साल से मेला में आ रही है। पहले अकेला आती थी और अब बच्चों को साथ लेकर आती हूं। कपालमोचन का प्राचीन महत्व है। इसलिए यहां आने से सभी मुरादें पूरी होती हैं। जब से यहां आने लगा है तब से परिवार में सुख समृद्धि है।

लुधियाना से पहुंचे गुरनाम सिंह ने बताया कि वह 22 साल से कपालमोचन मेले में माथा टेकने आ रहा है।उसने यहां आकर मन्नत मांगी थी कि उसके बेटे की शादी हो जाए। यह मनोकामना पूर्ण हो गई है। भठिंडा निवासी 48 वर्षीय बूटा सिंह ने बताया कि वह केवल सात साल से ही कपालमोचन आ रहा है। क्योंकि पहले उसे यहां की मान्यता के बारे में नहीं पता था। उसके बेटे को रोजगार नहीं मिल रहा था। उसने मनोकामना मांगी। अब बेटे को प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई है। परिवार में खुशहाली है। अब वह परिवार के साथ यहां पर आया है। उनका कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यहां आकर उनको मन की शांति मिलती है।

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