अंबाला में कालका चौक से शानदार होगी एंट्री, वामन भगवान की महिमा के होंगे दर्शन

अंबाला में कालका चौक पर भगवान श्री वामन के नाम पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके कार्य के शुभारंभ सनातन धर्म सभा कर चुकी है। कुछ तकनीकी कारणों से लगभग 2 साल से रुका हुआ था। चार महीने में यह गेट तैयार हो जाएगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 05:14 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 05:14 PM (IST)
अंबाला में कालका चौक से शानदार होगी एंट्री, वामन भगवान की महिमा के होंगे दर्शन
अंबाला में श्री सनातन धर्म सभा 40 लाख से स्वागत गेट बना रही है।

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर। अंबाला शहर में आने वाले लोगों की शानदार एंट्री होगी। क्योंकि शहर के कालका चौक पर 40 लाख रुपये की लागत से गेट बनाया जाएगा। इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है। जिसके तैयार होने के बाद शहर की चमक निराली होगी। जबकि अभी तक कालका चौक हाईवे के कारण अनदेखा हो गया था। लोगों को कालका चाैक नजर नहीं आ रहा था। 

बता दें कि कालका चौक पर भगवान श्री वामन के नाम पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके कार्य के शुभारंभ सनातन धर्म सभा कर चुकी है। सनातन धर्म सभा के सचिव विनोद गर्ग ने कहा कि श्री वामन भगवान के नाम से बनने वाले प्रवेश द्वार का कार्य कुछ तकनीकी कारणों से लगभग 2 साल से रुका हुआ था। यह द्वार लगभग 4 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा। इस चौक के बनने से शहर की पहचान अलग सी होगी।

गुरुद्वारा मंजी साहिब के पास बनेगा चौक

उन्होंने बताया कि दिल्ली-अमृतसर हाईवे पर कालका चौक लगता है। इस चौक से लेकर गुरुद्वारा मंजी साहिब तक नेशनल हाईवे लगता है। इसी कारण गुरुद्वारा मंजी साहिब के पास भी चौक बनाया जा रहा है। ऐसे में दोनों चौक की बीच हाईवे के साथ-साथ लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस चौक को बनाए जाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए विशेष तौर पर कारीगर लगेंगे। चौक को तैयार करने के लिए टेंडर भी हो चुका है। नगर निगम के अधिकारी इस चौक को लेकर काफी संजीदा हैं। जिसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी।

वामन भगवान के नाम से बन रहा चौक

इसके अलावा इस चौक को वामन भगवान के नाम से बनाया जा रहा है। क्योंकि भगवान वामन से अंबाला का नाम जुड़ा हुआ है। अंबाला में हर साल भगवान वामन का मेला लगता है। जिसमें नौरंगराय तालाब पर विशेष कार्यक्रम होता है। यह कार्यक्रम शहर में तीन दिन तक चलता है। इसमें शहर के पांच प्राचीन मंदिरों से हिंडोले पुरानी अनाज मंडी ले जाए जाते हैं और वहां से नौरंगराय तालाब में तैराए जाते हैं।

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