समालखा में घर की छतों से गुजर रही बिजली की हाईटेंशन लाइन
पूर्व में 11 केवी की इस लाइन से जौरसी और गढ़ीछाज्जू गांव और इनके कृषि फीडरों को सप्लाई दी जाती थी। उस यहां इतनी सघन आबादी नहीं थी।
जागरण संवाददाता, समालखा : कस्बे की गांधी कॉलोनी और भापरा गांव की आबादी के बीच से गुजर रही 11 हजार वोल्ट की पुरानी बिजली लाइन लोगों के लिए सिर दर्द बनी है। कुछ लोगों ने शिफ्टिग के लिए पैसे भी निगम के खाते में जमा करवा रखे हैं। गढ़ीछाज्जू में बने 33 केवीए पावर सब स्टेशन के चालू होने के बाद से यह बंद पड़ी है, फिर भी इसे हटाया नहीं गया है। आबादी के लोगों को इससे डर लगता है। उनके काम प्रभावित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में 11 केवी की इस लाइन से जौरसी और गढ़ीछाज्जू गांव और इनके कृषि फीडरों को सप्लाई दी जाती थी। उस यहां इतनी सघन आबादी नहीं थी। अब यहां सघन आबादी हो गई है। लाइन के नीचे सैकड़ों लोगों के मकान बन गए हैं। 11 केवी की नंगी तारें छतों के ऊपर से गुजर रही है। किसी के आंगन में बिजली के खंभे गड़े हैं तो किसी की छत के दो से तीन फीट ऊपर तार गुजर रही है। उनकी छत पर मकान निर्माण के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। तारों में करंट नहीं होने के बाद भी बैक करंट का खतरा रहता है। हादसे का डर बना रहता है। लोग सालों से इसे हटाने की मांग कर रहे हैं। करीब पांच दशक पहले इसे बिछाई गई थी, तब यहां आबादी नहीं थी।
शिफ्टिग खर्च जमा करने के बाद भी परेशानी
भापरा के मुकेश जांगड़ा कहते हैं कि करीब चार महीनों से लाइन बंद है। उसने छत के ऊपर से तार हटाने के लिए 60 हजार रुपये भी जमा करवाए थे, लेकिन तार नहीं हटे।
गांधी कॉलोनी के पवन कुमार ने कहा कि उसने अपने दो मकानों के ऊपर से तार हटाने के लिए 1.87 लाख रुपये जमा करवा रखे हैं। सात साल से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन तार नहीं हटे।
बिल्लू और अश्वनी ने बताया कि तार के कारण उनका मकान अधूरा है। दूसरी मंजिल पूरी नहीं बनी है। भापरा की सीमा ने कहती है कि बिजली खंभा उसके आंगन में लगा दिया है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। हर समय हादसे का डर रहता है।
वहीं निगम अधिकारी कहते हैं कि यह उनकी स्पेयर लाइन है। विषम परिस्थितियों में इसका उपयोग हो सकता है। तारों को मकानों के ऊपर से शिफ्ट करवाने का प्रयास किया जा रहा है।