पेंशन न मिलने पर बुजुर्गों के चढ़े तेवर, नरवाना-टोहाना मार्ग कर दिया जाम

जींद में बुजुर्गों की एक करोड़ रुपये की पेंशन पैक्स की ओर से नहीं मिल रही। इससे खफा होकर लोगों ने नरवाना-टोहाना मार्ग पर जाम लगा दिया। बुजुर्गों ने कहा तीन महीने से नहीं मिल रही पेंशन लेने जाते हैं तो किया जाता है अपमानित।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 12:37 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 12:37 PM (IST)
पेंशन न मिलने पर बुजुर्गों के चढ़े तेवर, नरवाना-टोहाना मार्ग कर दिया जाम
नरवाना-टोहाना मार्ग पर बुजुर्गों ने जाम लगाया।

जींद, जागरण संवाददाता। नरवाना से टोहाना मार्ग पर स्थित धमतान गांव के बुजुर्गों ने जाम लगा दिया। पिछले तीन महीने से बुढ़ापा पेंशन नहीं मिलने पर खफा होकर सोमवार को गांव के बस अड्डे पर एकजुट हो गए।

बुजुर्गों की पेंशन गांव के ही पैक्स यानि सहकारी समिति में आ रही है लेकिन जब वह पेंशन लेने के लिए जाते हैं तो उन्हें अपमानित कर बाहर निकाल दिया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार करीब एक करोड़ रुपये पर कर्मचारी कुंडली मारे बैठे हैं।

धैर्य दिया जवाब

सोमवार सुबह धमतान साहिब गांव के बुजुर्गों का धैर्य उस समय जवाब दे गया, जब बुजुर्ग पेंशन लेने के लिए सहकारी समिति बैंक में पहुंचे। यहां पर उन्हें उनकी पेंशन नहीं दी गई। बाहर निकलते ही आक्रोश में बुजुर्गों ने नरवाना-टोहाना मार्ग पर जाम लगा दिया।

क्‍या है इनकी पीड़ा

बुजुर्ग धर्मपाल, किताबा, सुरेश, रोशनी, सरबती ने बताया कि उन्हें बुढ़ापा पेंशन के रूप में 2500 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं और गांव स्थित सहकारी समिति बैंक में उनकी पेंशन आती है। मई महीने में जब पेंशन लेने के लिए गए तो उनकी बैंक कापी यहां रखवा ली गई लेकिन पेंशन कुछ दिन बाद देने की बात कही गई। उस महीने पेंशन नहीं आई लेकिन जून महीने में पेंशन लेने के लिए वह बैंक पहुंचे तो कर्मचारी ने कहा कि पेंशन नहीं आई है। इसके बाद अब जुलाई में फिर से पेंशन लेने के लिए गए तो उन्हें अपमानित कर बैंक से बाहर निकाल दिया। बुजुर्गों ने कहा कि इस मामले में वह एसडीएम से लेकर सहकारी समिति के प्रबंधक तक से मिल चुके हैं लेकिन उनकी पेंशन नहीं निकलवाई जा रही। समाज कल्याण विभाग की तरफ से पेंशन खाते में डाली जा चुकी है लेकिन समिति के कर्मचारियों द्वारा पेंशन नहीं दी जा रही।

एक करोड़ रुपये से ज्यादा बनती है पेंशन

धमतान साहिब के ग्रामीणों ने गांव के 1500 से ज्यादा बुजुर्गाें और विधवा महिलाओं की पेंशन समिति में आ रही है, जो ढाई हजार रुपये के हिसाब से तीन महीने की एक करोड़ रुपये के करीब पेंशन बनती है। इन एक करोड़ पर समिति कर्मचारी कुंडली मारे बैठे हैं और उन्हें आजीविका चलानी भी मुश्किल हो रही है।

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