पिता के सपने को पूरा करेगी बेटी
बड़ौली गांव की टॉपर एसआरएम स्कूल की छात्रा अंशु बचपन से इंजीनियर बनने का सपना मन में संजोए है। डेढ़ साल पहले रोडवेज बस में चालक पिता जगबीर सिंह की मौत के बाद भी हौसला नहीं हारी। बड़ी बहन आंचल ने शुक्रवार रात को जब रिजल्ट के बारे में बताया तो अंशु के खुशी के ठिकाना नहीं रहा।
जागरण संवाददाता, पानीपत:
बड़ौली गांव की टॉपर एसआरएम स्कूल की छात्रा अंशु बचपन से इंजीनियर बनने का सपना मन में संजोए है। डेढ़ साल पहले रोडवेज बस में चालक पिता जगबीर सिंह की मौत के बाद भी हौसला नहीं हारी। बड़ी बहन आंचल ने शुक्रवार रात को जब रिजल्ट के बारे में बताया तो अंशु के खुशी के ठिकाना नहीं रहा। उम्मीद से अधिक अंक हासिल करने की खुशी चेहरे पर झलकने लगी। मेहनत, लगन और शिक्षकों की बात मानने को सक्सेस मंत्रा बताने वाली इस टॉपर छात्रा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में सुधार की जरूरत है। सोशल मीडिया को पढ़ाई में उपयोगी मानती है लेकिन यह भी कहती है कि इससे एकाग्रता में बाधा आती है। मां सुमित्रा के घरेलू कार्यों में बखूबी हाथ बंटाती है। स्वभाव से शर्मीले, बन गए टॉपर
सेक्टर छह में रहने वाले आदित्य के पिता अनिल सिंह कॉटन वेस्ट का काम करते हैं। बचपन से पढ़ाई में विशेष लगाव रहा। रात 11:30 बजे स्कूल के शिक्षक ने फोन कर जिले में टॉप करने की बात कही। फैमिली में अंकों का रिकार्ड तोड़ने पर आदित्य खुशी से झूमने लगा। स्कूल की सीनियर टॉपर छात्रा कनिका और ईशा से सफलता की प्ररेणा मिली। मंजिल दर मंजिल कदम बढ़ाता गया। नॉन मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेगा। डीसी बन कर प्रदेश को आगे ले जाने की सोच रखने वाले आदित्य का कहना है कि रात में शोर कम होने से पढ़ाई में एकाग्रता बनी रहती है। सक्सेस का मंत्रा यही है कि स्वयं पर विश्वास रखो। उत्तर पुस्तिका पर बेहतर प्रेजेंटेशन देने पर परीक्षा में अच्छे अंक मिलेंगे। साथियों की बात नहीं मानी, सेकेंडर टॉपर बना दसवीं में परीक्षा देने से पहले साथियों ने कहा ट्यूशन ज्वाइन करो। तभी अच्छे अंक आएंगे। सदानंद बाल विद्या मंदिर का टॉपर छात्र कर्ण ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। ध्यान से मन लगा कर पढ़ाई करने लगा। सिलेबस ठीक से कवर करने से परीक्षा के समय घबराहट नहीं हुई। 493 अंक लेकर स्कूल का नाम रोशन किया। दैनिक जागरण से बातचीत में कर्ण ने कहा कि टीचर की बातों को गौर सुनना सफलता का मूल मंत्र है। नॉन मेडिकल से आगे की पढ़ाई करेगा। वाइल्ड लाइफ में उसकी विशेष रुचि है। यू ट्यूब से मिली टॉप की प्रेरणा
टैगोर स्कूल के टॉपर करनप्रीत यू ट्यूब पर मोटिवेशनल प्रोग्राम देखने में रुचि रखता है। सोनू शर्मा के द्वारा प्रसारित कार्यक्रम उसके दिल को छू गया। दसवीं में पूरे साल एकग्रता से पढ़ाई की। सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखा। 493 अंक लेकर अब बीटेक की पढ़ाई करने को बेताब है। रिजल्ट जानने के उनके दादा सरदार प्रीतम सिंह को खूब खुशी हुई। पिता गुरप्रीत पेशे से बिजनेस मैन हैं। करनप्रीत का कहना है कि परीक्षा के समय 10-12 घंटे पढ़ने से कुछ नहीं होगा। पूरे साल नियमित रूप से शेड्यूल बना कर पढ़ाई करें। यही सफलता का मूल मंत्र है।
पूर्व राष्ट्रपति सक्षम के आदर्श
वधवा राम कालोनी में रहने वाले टैगोर स्कूल के छात्र सक्षम कौशिक कंप्यूटर इंजीनियर बनेंगे। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाले सक्षम को रात 12 बजे रिजल्ट का पता चला। उम्मीद से सात अंक कम आने का उसे मलाल है। भोर में चार बजे उठ कर पढ़ाना उन्हें खूब पसंद है। इससे याद करने में आसानी होती है। अच्छे अंक पाने के लिए दस साल का सैंपल पेपर हल किया। 12 वीं की रिजल्ट आने का इंतजार कर रही बड़ी बहन उसे गाइड करती है। पिता राजीव एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट हैं। रिजल्ट देखने के लिए रात भर जगी
शिवानी
काबड़ी गांव में ज्ञान भारती स्कूल की छात्रा शिवानी के पिता कपड़े की दुकान करते हैं। मां अब इस दुनिया में नहीं हैं। घर का कामकाज संभालने के साथ शिवानी ने पढ़ाई करने का चैलेंज स्वीकार किया। स्कूल में शिक्षकों की बात पर गौर की। रिजल्ट जानने के लिए रात भर जगी। भाई ने सुबह 4:30 बजे वेबसाइट पर रिजल्ट देख कर बताया तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। डीसी बनने का सपना संजोये शिवानी का कहना है कि सफलता का मूल मंत्र शिक्षक जो पढ़ाएं उसे घर रिवाइज करें। दूसरे बच्चों की तरह मोबाइल फोन को हाथ भी नहीं लगाती है। मम्मी खिलाती खाना, बेटी करती पढ़ाई
आशी शर्मा
मतलौडा की आशी शर्मा तीन बहनों में सबसे छोटी है। स्कूल की अंग्रेजी की शिक्षिका रजनी यादव ने टॉप करने की राह दिखाई। शिक्षिका की बात को सक्सेस मंत्रा मना कर मन में गांठ बांध लिया। उस राह पर आगे कदम बढ़ाने लगी। आशी शर्मा ने बताया कि जब उसे मन करता था तभी पढ़ाई करती थी। चाहे दस बारह घंटे क्यों न हो जाएं पढ़ाई छोड़ कर उठती नहीं। मम्मी उसे बगल में बैठ कर खाना खिलाती थी। इससे घरेलू कार्यों में ज्यादा हाथ नहीं बंटाती। आशी का कहना है कि सरकारी स्कूल पिछड़े हुए हैं उसमें सुधार की जरूरत है।