पर्यावरण बचाने को डायर्स तैयार, सहयोग बिना मंदी से लाचार

जेडएलडी का 25 प्रतिशत सीधा लेने की बजाय कंपनी से कराए सरकार काम। इंडियन ऑयल ने उद्यमियों के सामने एलपीजी अपनाने का विकल्प रखा। उद्यमी बोले आज हमारा वक्त खराब चल रहा यह भी अछे का संकेत है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Sep 2019 07:40 AM (IST) Updated:Sun, 01 Sep 2019 07:40 AM (IST)
पर्यावरण बचाने को डायर्स तैयार, सहयोग बिना मंदी से लाचार
पर्यावरण बचाने को डायर्स तैयार, सहयोग बिना मंदी से लाचार

जागरण संवाददाता, पानीपत : डायर्स उद्यमी पर्यावरण बचाने के लिए आगे आए हैं। सस्ता कोयला छोड़कर पीएनजी या एलपीजी अपनाने की तैयारी में हैं। मंदी में सहयोग न मिलने पर लाचार उद्यमी नए विकल्प को लेकर शुरुआती दौर में फंस गए हैं। इंडियन ऑयल ने डायर्स उद्यमियों के सामने एलपीजी को अच्छा विकल्प बताया है। डायर्स उद्यमी मंदी में रोजगार बचाने के लिए सख्त फैसले लेने को तैयार हैं।

डायर्स एसोसिएशन पानीपत की शनिवार को जीटी रोड स्थित एक होटल में दो घंटे चली बैठक में कई पहलुओं पर निर्णय लिए गए। प्रधान भीम राणा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि उद्यमी एन्हांसमेंट की उलझन से निकल गए हैं। अब कोयले का विकल्प अगली लड़ाई है। डाइंग में कोयला सस्ता पड़ता था। अब पीएनजी और एलपीजी को अपनाना जरूरी हो गया है। उद्यमियों ने सरकार से एक से दो वर्ष तक का समय मांगा था लेकिन उनके हक में अब फैसला नहीं आया है। सिस्टम बदलने के साथ गैस का पैसा उन्हें एडवांस में देना होगा। ऐसे में वे उधार लंबे समय तक नहीं दे सकते। एसोसिएशन बायलर बदलने के लिए कंपनियों को 40-50 बायलरों के रेट एक साथ तय करेगी। ये सस्ते भी होंगे और जल्दी भी मिल पाएंगे। कोई कंपनी ऑर्डर समय पर पूरा नहीं कर पाती है तो उसके खिलाफ सामूहिक रूप से कार्रवाई भी कराई जा सकेगी। सभी उद्यमियों ने बैठक में लिए फैसलों का स्वागत किया। इस मौके पर ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विनोद धमीजा, आदित्य कुमार, प्रवीण जुनेजा, रमन पुहाल, पवन गोयल, मुकेश रेवड़ी व पुनीत तनेजा मौजूद रहे।

आइओसीएल ने एलपीजी को बताया प्रदूषण रहित

इंडियन ऑयल डीजीएम प्लांट विशाल उदय, डीजीएम दिल्ली-हरियाणा संजय खन्ना व जीएम मुकेश कुमार गुप्ता व सीनियर मैनेजर इंदीवर समेत कई अधिकारी बैठक में पहुंचे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को अपनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि एलपीजी हाल में 34 और पीएनजी 32 रुपये प्रति किलोग्राम है। एक किग्रा. एलपीजी जलने पर पीएनजी से अधिक क्लोरिन वैल्यू मिलती है।

एलपीजी का ट्रांसपोर्ट करना आसान

आइओसीएल के अधिकारियों ने बताया कि एलपीजी अब तक डोमेस्टिक मार्केट में थी। अब कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेक्टर में प्रमुखता के साथ आई है। एलपीजी में पांच से लेकर 425 किलोग्राम का सिलेंडर है। बड़े साइज में 12 से 18 मीट्रिक टन का कैप्सूल है। इसे एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी के साथ ले जाया जा सकता है। एलपीजी में 18 प्रतिशत जीएसटी है, लेकिन इसका शत-प्रतिशत इनपुट टैक्स क्रेडिट रहेगा। पीएनजी में छह प्रतिशत वेट है। इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं है।

उद्यमियों के सामने ये बड़ी चुनौतियां..

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कोयल उधार मिल जाता था, एलपीजी नहीं मिलेगी

प्रधान भीम राणा ने बताया कि डायर्स उद्यमी की उधार लंबी रख ली जाती है। कपड़े की रंगाई खराब होने की स्थिति में उद्यमी अपना प्रॉफिट तक काट लेते थे। अब ऐसा नहीं चलेगा। 30 से 45 दिन से अधिक उधार नहीं देंगे और किसी तरह की कॉस्ट कटिग नहीं होने देंगे। धागे वाला डेढ़ प्रतिशत ब्याज ले सकता है तो वे भी लंबी उधार चलने पर ब्याज लेंगे। ऐसी शिकायतों पर पूरी एसोसिएशन एकजुट होकर धरना देगी। ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई कराने में भी पीछे नहीं हटेंगे।

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जेडएलडी के 25 प्रतिशत उद्यमी नहीं दे सकते

उद्यमी राजेश जैन ने बताया कि आज पानीपत का उद्यमी फंसा हुआ है। सरकार 750 करोड़ के जीरो लिक्विड डिस्पोजल में 25 प्रतिशत राशि उद्यमियों से मांगती है। उद्योग विभाग के एसीएस देवेंद्र सिंह ने तीन दिन पहले पानीपत में उद्यमियों की मीटिग में भी यह बात कही थी। सरकार किसी कंपनी से उद्यमियों के हिस्से का 25 प्रतिशत दिलवा दें। उद्यमी जेडएलडी के प्रयोग करने पर उसी हिसाब से अपनी पेमेंट देते रहेंगे।

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