पानीपत के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी खबर, जानिए आपके क्षेत्र में सप्‍लाई हो रहा पानी कितना खतरनाक

पानीपत के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी खबर है। पानीपत में पांच गांवों और तीन कॉलोनियों में सप्‍लाई होने वाला पानी प्रदूषित है। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के ट्यूबवेलों का पानी से सेहत खराब हो सकती है। ऐसे में सावधान रहें।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 07:14 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:14 PM (IST)
पानीपत के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी खबर, जानिए आपके क्षेत्र में सप्‍लाई हो रहा पानी कितना खतरनाक
पानीपत के कई क्षेत्र के पानी का सैंपल फेल।

जागरण संवाददाता, पानीपत। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के ट्यूबवेलों का पानी पेट, स्किन संबंधी रोग सहित कैंसर परोस रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई में भाटिया कालोनी,सुखदेव नगर,पटेल नगर के अलावा पांच गांवों से पेयजल के 41 नमूने लिए थे। ओटी (आर्थोटोलिडाइन टेस्ट) और बैक्ट्रीरियोलाजिकल जांच में 19 सैंपल फेल हो गए हैं।

डिप्टी सिविल सर्जन डा. कर्मवीर चोपड़ा ने बताया कि किसी व्यक्ति ने भाटिया कालोनी में दूषित पेयजल की शिकायत विभाग सहित डीसी आफिस में की थी। कालोनी में पांच स्थानों से पेयजल के नमूने लिए थे, सभी अनफिट मिले हैं। इसी कड़ी में पटेल नगर से पांच, सुखदेव नगर से छह, बापौली से चार, खोतपुरा से तीन, चुलकाना ट्यूबवेल से चार, मांडी से तीन व पट्टीकल्याणा से चार सैंपल लिए थे। इनमें क्रमश: दो, दो, तीन, दो, तीन, एक और एक स्थान का पानी पीने लायक नहीं मिला है। यानि, पेयजल में क्लोरीन की मात्रा बहुत कम मिली है।

मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तमाम बैक्टीरिया मौजूद मिले हैं। सिविल अस्पताल से सात सैंपल लिए थे, सभी पास हैं। डा. चोपड़ा के मुताबिक जांच रिपोर्ट जनस्वास्थ्य विभाग को भेजते हुए, शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए कहा है, ताकि पेयजल सेवन से कोई व्यक्ति बीमार न हो।

जून में 3485 स्थानों का पेयजल अनफिट

विभाग ने मार्च से जून तक शहर-गांवों से 9710 नमूनों का ओटी (आर्थोटोलिडाइन टेस्ट) किया था। इनमें से गया है। 3485 (35.89 फीसद) सैंपल फेल आए थे। 116 सैंपल बैक्ट्रीरियोलाजिकल टेस्ट के लिए भेजे थे, 15 फेल मिले थे।

शुद्ध पेयजल संबंधित एजेंसी की जिम्मेदारी 

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने पेयजल आपूर्ति करने वाली एजेंसियों के नाम 29 जुलाई 2021 को एक नोटिस जारी किया है। इसमें स्पष्ट आदेश हैं कि पानी में टीडीएस (कुल विघटित ठोस) की मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। आरओ (रिवर्स आस्मोसिस) को प्राथमिकता देने के बजाय शुद्ध पेयजल आपूर्ति पर ध्यान दें।

100 से 200 के बीच टीडीएस ठीक

डा. चोपड़ा ने बताया कि पेयजल में टीडीएस 100 से 200 तक है तो वह ठीक है। किडनी मरीजों के लिए 50 से 100 के बीच टीडीएस होना चाहिए।

यह है टीडीएस

पानी में घुली चीजों को टीडीएस (कुल विघटित ठोस) कहते हैं। इसमें साल्ट, कैल्शियम, मैग्निशियम, पोटेशियम, सोडियम, कार्बोनेट, क्लोराइड्स हैं। ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) टीडीएस सहन कर सकता है।

अशुद्ध पेयजल से होने वाली बीमारियां

-उल्टी-दस्त, आंतों में संक्रमण।

-पीलिया, गले में इंफेक्शन।

-टायफाइड बुखार, स्किन एलर्जी।

-लगातार सेवन से किडनी में संक्रमण।

-नर्वस सिस्टम को नुकसान।

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