पोलियो से जंग जीती, एएफपी को भी हराना है
राज सिंह पानीपत प्रगति की कहानियां-अतीत और वर्तमान थीम पर विश्व पोलियो दिवस मनाया जा रहा ह
एटा: संक्रामक रोगों के सरकारी इलाज के दावे तो बड़े-बड़े हैं, लेकिन ये हकीकत पर नहीं टिकते। रोग फैलने की स्थिति में हड़बड़ाहट की स्थिति बन जाती है। कुछ ऐसा ही इस समय डेंगू को लेकर हो रहा है। कसैटी, असरौली, मरथरा और नगला जगरूप में लगातार डेंगू के मरीज निकल रहे हैं। जिला अस्पताल में महज छह बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया। सर्जिकल और मेडिकल वार्ड में भी बेड खाली नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को भर्ती करने तक के लिए जगह नहीं है।
बर्न वार्ड के छह बेड वाले एक हिस्से को डेंगू वार्ड का रूप दे दिया गया है। शुक्रवार को यहां कसैटी के छह मरीज भर्ती थे। मौजूद स्टाफ के मुताबिक डेंगू के मरीज इतने ही थे। जबकि बर्न वार्ड के दूसरे हिस्से में भर्ती मरीजों को सामान्य बुखार का मरीज बताया जा रहा था। हालांकि, वहां भर्ती नगला जगरूप की अंजलि व उपासना, कसैटी की सोनम और शहर के नारायण नगर के सौरभ का कहना था कि जांच में उन्हें भी डेंगू पाया गया है। स्टाफ को इस संबंध में जानकारी ही नहीं थी। ऐसे में उन्हें क्या इलाज दिया जा रहा था, किसी को नहीं पता था। कुल मिलाकर यहां के सभी बेड भर चुके हैं। जबकि हर दिन एक दर्जन से अधिक नए डेंगू रोगी मिल रहे हैं। जिन्हें भर्ती करने की व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। झुलसे मरीजों को नहीं बचे बेड:
बर्न वार्ड के दोनों ही हिस्से बुखार के मरीजों से घिर गए हैं। ऐसे में यदि कोई झुलसा हुआ मरीज आता है तो उसे भर्ती करने के लिए मशक्कत करनी होगी। साथ ही झुलसे मरीज के साथ बुखार के रोगियों के भर्ती रहने में दोनों को ही असहजता का सामना करना पड़ेगा। अभी अस्पताल में डेंगू के कुल छह मरीज हैं, वार्ड में इतने ही बेड पड़े हैं। मरीज बढ़ते हैं तो आइसोलेशन वार्ड, आई वार्ड में उन्हें भर्ती कर इलाज किया जाएगा।
- डा. राजेश कुमार अग्रवाल, सीएमएस