हर मच्छर डेंगू नहीं परोसता, पहचान करें कैसा दिखता है खतरनाक जीव; यह हैं डेंगू बुखार के लक्षण
Dengue prevention डा. संडूजा ने बताया कि वायरल-टायफाइड होने पर भी प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। घबराएं नहीं रोगी में 10 हजार प्लेटलेट्स भी बची हैं तो भी वह मेडिसिन और लिक्विड सेवन से रिकवर हो जाता है।
जागरण संवाददाता, पानीपत। Dengue Prevention आपने डेंगू फैलाने वाले मच्छर के बारे में सुना होगा, नाम मादा एडीज एजिप्टी है, यह भी जानते होंगे। क्या आप जानते हैं कि मच्छरों की करीब 3500 प्रजातियां हैं। इनमें से कुछ ही ऐसी हैं जो अपने अंडो के विकास के लिए मनुष्य का खून पीती हैं।इस समय डेंगू बुखार कहर बरपा रहा है,इस सीजन में 181 मरीजों की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग कर चुका है। ऐसे में मादा एडीज एजिप्टी मच्छर की पहचान करना आवश्यक है ताकि उसे नष्ट किया जा सके।
गहरे रंग का होता है एडीज एजिप्टी मच्छर: डेंगू बुखार को परोसने वाला मादा एडीज एजिप्टी मच्छर छोटा व गहरे रंग का होता है। इसकी टांगें बहुत खुली हुई नहीं होती, यह ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाता। यही कारण है कि आमतौर पर टखनों और कोहनी पर काटता है। सूर्योदय के दो घंटे बाद और सूर्यास्त से कई घंटे पहले सर्वाधिक सक्रिय रहता है आमतौर पर घर के अंदर काटता है। दिन के समय में ऐसे पानी में अंडे देता है, जिसमें पत्तियां, शैवाल होते हैं। यह मच्छर जीका व येलो बुखार भी फैलाता है।
करीब एक माह की आयु: मादा एडीज एजिप्टी मच्छर की उम्र करीब एक महीना होती है। जीवन काल में वह 500 से 000 तक मच्छर पैदा कर देती है। एक बार में 100 से 300 तक अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में लगभग सात दिन लगते हैं। लार्वा मात्र चार दिनों में मच्छर की शक्ल ले लेता है, इसके दो दिन बाद उड़ने लगता है। अधिक ठंड होने पर लार्वा बनने में 14 दिन का समय लगता है।
ऐसे करें मच्छर से अपना बचाव :
यह हैं डेंगू बुखार के लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द, तवचा पर लाल रंग के दाने निकलना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, सूजन आना, मसूड़ों व नाक से खून निकलना।
कार्ड टेस्ट नहीं मान्य: जिला मलेरिया अधिकारी डा. सुनील संडूजा ने बताया कि निजी अस्पतालों में डेंगू आशंकित मरीजों का कार्ड टेस्ट किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग इस टेस्ट की रिपोर्ट को सही नहीं मानता। डेंगू कन्फर्म के लिए एनएन-1 या एलाइजा टेस्ट कराना चाहिए। डेंगू पुष्टि के लिए सरकार भी इसी टेस्ट को मान्यता देती है।
वायरल-टाइफाइड में भी कम होती हैं प्लेटलेट्स: डा. संडूजा ने बताया कि निजी अस्पताल 30-40 हजार होने पर भी प्लेटलेट्स चढ़वाने की सलाह देते हैं, जो गलत है। ये जितनी तेजी से घटती हैं, उतनी तेजी से बढ़ती भी हैं।