डेंगू बुखार का कहर नहीं कम, रक्त केंद्रों में एसडीपी किट की किल्लत

मादा एडीज एजिप्टी मच्छर का डंक जिलावासियों को खूब सता रहा है। निजी अस्पतालों में बेड फुल हैं। सिविल अस्पताल में 14 आशंकित एक पाजिटिव मरीज भर्ती है। निजी रक्त केंद्रों में एसडीपी (सिगल डोनर प्लेटलेट्स) किट नहीं होने से प्लेटलेट्स का जंबो पैक मरीजों को नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 07:15 PM (IST) Updated:Sun, 14 Nov 2021 07:15 PM (IST)
डेंगू बुखार का कहर नहीं कम, रक्त केंद्रों में एसडीपी किट की किल्लत
डेंगू बुखार का कहर नहीं कम, रक्त केंद्रों में एसडीपी किट की किल्लत

जागरण संवाददाता, पानीपत : मादा एडीज एजिप्टी मच्छर का डंक जिलावासियों को खूब सता रहा है। निजी अस्पतालों में बेड फुल हैं। सिविल अस्पताल में 14 आशंकित, एक पाजिटिव मरीज भर्ती है। निजी रक्त केंद्रों में एसडीपी (सिगल डोनर प्लेटलेट्स) किट नहीं होने से प्लेटलेट्स का जंबो पैक मरीजों को नहीं मिल रहा है। मरीजों को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) यानि छोटा पैक दिया जा रहा है।

शहर में चार बड़े निजी अस्पताल हैं, जिनमें डेंगू के आशंकित-पाजिटिव मरीज अधिक भर्ती किए जाते हैं। इनमें डा. प्रेम अस्पताल, रविद्रा अस्पताल, उजाला सिग्नेस महाराजा अस्पताल और पार्क अस्पताल शामिल हैं। इनसे अलग करीब 50 छोटे अस्पताल हैं जहां फिजिशियन की उपलब्धता के कारण मरीजों को भर्ती किया जाता है। फिलहाल, निजी अस्पतालों के बेड बुखार के मरीजों से फुल हैं। इनमें करीब 20 फीसद मरीज डेंगू आशंकित हैं, कार्ड टेस्ट में एक्टिव मिले हैं। बाकी मरीज वायरल और टाइफाइड के हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने भी अगस्त से अब तक डेंगू बुखार के 181 मरीजों की पुष्टि की है।रक्त केंद्रों से प्लेटलेट्स का जंबो पैक उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को आठ-दस रक्तदानियों का इंतजाम करना पड़ रहा है। क्या है एसडीपी किट

सिगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) तकनीक से एक यूनिट रक्त में 30-35 हजार प्लेटलेट्स मिलती हैं, इसे जंबो पैक कहते हैं। रक्तदाता के रक्त से मशीन के जरिए प्लेटलेट्स निकाली जाती हैं, उसी समय ब्लड वापस चढ़ा दिया जाता है। एक जंबो यूनिट प्लेटलेट्स से मरीज में तेजी से सुधार होता है। छोटा पैक बड़ी परेशानी

छोटा पैक में आठ से बारह हजार प्लेटलेट्स होती हैं। यानि, मरीज को मात्र 30 हजार प्लेटलेट्स चढ़ानी पडें तो कम से कम चार रक्तदाताओं का इंतजाम करना पड़ता है। सेपरेटर मशीन की मदद रक्त से प्लेटलेट्स, प्लाजमा (एफएफपी), लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), श्वेत रक्त कणिकाएं (डब्ल्यूबीसी) अलग किया जाता है। डेंगू के मरीज को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) यानि छोटा पैक दिया जा रहा है। रेडक्रास रक्त केंद्र में नहीं कंपोनेंट

जिला रेडक्रास सोसाइटी के रक्त केंद्र में कंपोनेंट सुविधा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। हालांकि यहां सेपरेटर मशीन सहित तमाम मशीनरी स्थापित हो चुकी है। कंपोनेंट लाइसेंस के लिए आवेदन भी किया जा चुका है। तकरीबन 42 करोड़ की लागत से बने 200 बेड के सिविल अस्पताल में ब्लड सेंटर नहीं है। एसडीपी किट नहीं मिल रही

सुखदेव नगर स्थित भारत ब्लड केंद्र के प्रभारी डा. एचएन सहगल ने बताया कि करीब 15 दिन पहले तक हमारे पास एसडीपी किट का स्टाक था, अब खत्म है। डिमांड भेजी हुई है, पता नहीं कब मिलेंगी। तक तक मरीजों को आरडीपी पैक दिए जाएंगे। एक माह से बनी है किल्लत

संजीवनी ब्लड बैंक के प्रभारी राजकुमार सैनी ने बताया कि लगभग एक माह से एसडीपी किट की किल्लत बनी हुई है। जिस कंपनी की सेपरेटर मशीन है, उसी कंपनी की किट इस्तेमाल होती है। यह किट मलेशिया से आती है। आर्डर के पंद्रह दिन बाद मिल रही किट

प्रेम अस्पताल स्थित ब्लड सेंटर के प्रभारी रामफल मलिक ने बताया कि आर्डर के 15-20 दिनों बाद एसडीपी किट मिल रही हैं। शनिवार को 12 किट मिली थी, आठ उसी दिन खत्म हो गई। चार किट दूसरे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के तीमारदार ले गए। एनएस-वन टेस्ट के 600 रुपये

जिला मलेरिया अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डा. सुनील संडूजा ने बताया कि डेंगू कंफर्म केस उसे माना जाता है, जिसने एनएस-1 टेस्ट कराया हो, रिपोर्ट पाजिटिव हो। सरकार ने निजी अस्पतालों और लैब के लिए इस टेस्ट के रेट 600 रुपये निर्धारित किए हैं। अभी तक इससे ज्यादा रेट की शिकायत नहीं मिली है। सिविल अस्पताल में रोजाना 92 की जांच

सीनियर मेडिकल आफिसर डा. श्यामलाल ने बताया कि सिविल अस्पताल व सीएचसी-पीएचसी से रोजाना एनएस-वन जांच के लिए 45-50 स्लाइड आती हैं। इससे अधिक निजी अस्पतालों से आती हैं। एलाइजा रीडर मशीन से रोजाना 92 जांच हो रही हैं। घटते-बढ़ते रहे डेंगू केस :

2016- 12

2017-469

2018-133

2019- 04

2020-272

2021-181 (14 नवंबर तक)

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