सीवन के खरबूजे की मिठास के मुंबई वाले दिवाने, प्रति एकड़ किसान कमा रहे करीब एक लाख

सीवन के खरबूजे की डिमांड मुंबई में काफी ज्‍यादा है। 600 एकड़ भूमि में गोल्डन गुलेरी व बोबी किस्म के खरबूजे की किसान खेती करते है। प्रति एकड़ किसान 80 से 90 हजार रुपये कमाते हैं। अलग-अलग प्रदेश के व्‍यापारी डिमांड कर रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 01:34 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 01:34 PM (IST)
सीवन के खरबूजे की मिठास के मुंबई वाले दिवाने, प्रति एकड़ किसान कमा रहे करीब एक लाख
सीवन में खरबूजे की फसल दिखाता किसान राजेश रहेजा।

कैथल, जेएनएन। फलों में अपनी खूबसूरती के लिए विख्यात खरबूजा, एक ऐसा ही फल है, जिसका पीला- खूबसूरत रंग अपनी ओर खूब आकर्षित करता है। कैथल जिले के कस्बा सीवन खरबूजे की मनमोहक खुशबू और मिठास से मशहूर है। गर्मियों में यहां के खरबूजों की डिमांड तेज हो जाती है। इस बार भी अलग-अलग प्रदेशों के व्यापारी यहां के खरबूजों की डिमांड भेज रहे हैं।  इस बार सबसे ज्यादा डिमांड मुंबई व यूपी से आ रही है। 

600 एकड़ भूमि में बोबी व गोल्डन गुलेरी नामक खरबूजे होती है खेती

सीवन के किसानों द्वारा 600 एकड़ भूमि में गोल्डन गुलेरी नामक खरबूजे की बिजाई की हुई है। इस खरबूजे की इतनी डिमांड है कि यहां का खरबूजा मुंबई तक सप्लाई होता है। सीवन क्षेत्र में अनुकूल वातावरण व मिट्टी होने के कारण बढ़िया किस्म का खरबूजा पैदा होता है। किसान  प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये की कमाई करता है। इसकी मिठास, स्वाद और रंग लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सीवन से खरबूजा दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, यूपी, राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों को सप्लाई होता है।

पिछले कई वर्षों से खरबूजे की खेती करने वाले किसान मेजर सिंह मलिकपुर, राजेश रहेजा रिंकू, गगन , जरनैल सिंह, गुरदयाल मलिकपुर, संगीत बंसल, लक्ष्मी आनंद व अशोक कुमार का कहना है कि पिछले कई सालों से बोबी व गोल्डन गुलेरी नाम खरबूजे की खेती की थी। इससे पैदावार अच्छी हुई और क्वॉलिटी भी बेहतरीन देखने को मिली। देखते ही देखते कई किसान अब खरबूजे की खेती करने लगे हैं। सीवन अब मीठे, खुश्बूदार और रंग के खरबूजों के लिए जाना जाता है। उन्होंने उम्मीद की कि इस सीजन में भी उन्हें खरबूजे के अच्छे दाम मिलेंगे। 

उद्यान विभाग के अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि सीवन ब्लाक में खरबूजे की खेती की जाती है। इसके लिए बीज उपचार पर पूरा विभाग की तरफ से ध्यान दिया जा रहा है। जमीन की भी अदला-बदली करवाई जाती है।

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