जींद में डीएपी की मांग बढ़ी, गेहूं की बिजाई के लिए 21 हजार मीट्रिक टन की जरूरत, सरसों का रकबा भी बढ़ा
जींद में डीएपी की किल्लत की वजह से किसान परेशान हैं। इस बार गेहूं की बिजाई के लिए 21 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है। वहीं सरसों का भी रकबा बढ़ने की वजह से भी डीएपी की मांग बढ़ी है।
जींद, जागरण संवाददाता। गेहूं की बिजाई के लिए जिले में 21 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है। जिसमें से करीब छह हजार मीट्रिक टन डीएपी की खरीद किसान कर चुके हैं। यानि 15 हजार मीट्रिक टन डीएपी की और जरूरत है। 650 मीट्रिक टन डीएपी करनाल से मंगवाया गया है।
वहीं दूसरे जगहों से भी कृषि विभाग द्वारा डीएपी की व्यवस्था की जा रही है। गौरतलब है कि जिले में लगभग 2.17 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई होती है। प्रति एकड़ किसान एक डीएपी का बैग बिजाई के समय डालते हैं। 25 अक्टूबर से गेहूं की बिजाई शुरू हो जाती है। जिले में धान की कटाई के साथ ही गेहूं की बिजाई होने लगती है। सबसे ज्यादा बिजाई एक से 15 नवंबर के दौरान होती है। इस बार सरसों की बिजाई की तरफ किसानों का रूझान बढ़ा है। जिस कारण जींद व दूसरे जिलों में डीएपी की मांग भी बढ़ गई।
किसानों को डर है कि कहीं गेहूं की बिजाई के समय डीएपी ना मिले। इसलिए डीएपी खरीदने की होड़ सी लगी हुई है। जिन किसानों ने 15 से 20 दिन बाद गेहूं की बिजाई करनी है, वे भी एडवांस में डीएपी खरीद रहे हैं। फिलहाल जिले में खाद-बीज की सरकारी दुकानों पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है। जल्द ही सरकारी दुकानों पर डीएपी पहुंचने की उम्मीद है।
सरसों का बढ़ेगा रकबा
जिले में पिछले साल करीब छह हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल है। इस बार अब तक चार हजार हेक्टेयर से ज्यादा एरिया में सरसों की बिजाई हो सकती है। कृषि विभाग के अनुसार सरसों का रकबा 10 हजार के पार जाएगा। सरसों के प्रति किसानों का रूझान बढ़ने का कारण भाव है। मार्केट में सरसों साढ़े सात से आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। सरसों की फसल में गेहूं की तुलना में खर्च भी कम है।
गेहूं की बिजाई के लिए डीएपी की कमी नहीं होगी
कृषि विभाग से क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्र पाल ने बताया कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। गेहूं की बिजाई के लिए करीब 21 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत होती है। छह हजार मीट्रिक टन डीएपी किसान खरीद चुके हैं। फिलहाल जिले में करीब 40 हजार डीएपी के बैग हैं। 650 मीट्रिक टन डीएपी करनाल से पहुंचने वाला है। दूसरी जगहों से भी जल्द डीएपी की सप्लाई पहुंचेगी। डीएपी की कोई कमी गेहूं की बिजाई के लिए नहीं रहेगी।