शहीद हुए अंबाला के लाल का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, मुखाग्नि देकर निहारता रह गया 4 साल का बेटा
जम्मू कश्मीर में एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में शहीद हुए अंबाला के जवान निर्मल सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। चार साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। बेटा पिता के पार्थिव शरीर को निहारता रह गया।
पानीपत/अंबाला, जेएनएन। कृष्णा घाटी जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के स्नाइपर फायर में शहीद हुए जनसूई गांव हवलदार निर्मल सिंह को अंतिम विदाई देने पांच गांवों का जनसैलाब उमड़ा। सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के चार साल के बेटे वंशदीप सिंह ने मुखाग्नि दी।
वीरवार को शोक में डूबे गांव में जहां चूल्हा नहीं जला, वहीं सुबह ही लोग हाथों में फूल लेकर शहीद के शव का इंतजार कर रहे थे। सेना की गाडिय़ों के आगे हाथों में तिरंगा लेकर करीब सौ वाहनों (बाइक व कार) के काफिले ने शव के साथ गांव में प्रवेश किया। लोग करीब एक किलोमीटर तक सड़कों के किनारे खड़े रहे। छतों पर से शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प बरसाते रहे।
शहीद निर्मल सिंह की पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ।
उल्लेखनीय है कि हवलदार निर्मल सिंह कृष्णा घाटी पुंछ सेक्टर में तैनात थे। पाकिस्तान के स्नाइपर फायर में वह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल लाया गया। उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। शुक्रवार को शव जैसे ही गांव पहुंचा निर्मल सिंह अमर रहे के नारों से गांव गूंज उठा। इस दौरान हर किसी की आंख जहां नम थी, वहीं पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त रोष देखा गया।
शहीद निर्मल सिंह के मामा विलाप करते हुए।
सेना के वाहन में शहीद का शव उनके घर तक पहुंचाया गया। यहां पर परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद के चार साल के बेटे वंशदीप सिंह ने मुखाग्नि दी। सेना की तरफ से सेवानिवृत्त हुए पूर्व सैनिक शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे।
शहीद निर्मल सिंह की माता।
मां बोलीं : ऐसा बेटा सभी को मिले
स्वर्गीय हवलदार निर्मल सिंह की माता भजन कौर ने बताया कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। ऐसे बेटे सभी माताओं को मिलने चाहिएं। देश की सेवा करने का जज्बा निर्मल में बचपन से ही था। हवलदार निर्मल ङ्क्षसह को फौज में भर्ती होने की प्रेरणा अपने दादा भगवान ङ्क्षसह से मिली थी। वर्ष 2003 में निर्मल सिंह आर्मी में भर्ती हुआ था।
शहीद निर्मल के अंतिम संस्कार पर ट्राइसाइकिल पर जाती महिला ।
शहीद को विदाई देने उमड़े पांच गांव के लोग, हाथों में फूल हर आंख हुई नम
जम्मू के कृष्णाघाटी में पाकिस्तान के स्नाइपर फायर में शहीद हुए गांव जनसूई के निर्मल सिंह का पार्थिव शरीर जम्मू से हवाई मार्ग से अंबाला वायुसेना स्टेशन पर लाया गया। एयरफोर्स स्टेशन पर शहीद को सलामी दी गई। जनसूई शव पहुंचने से पहले ही हर किसी के हाथों में जहां फूल थे, वहीं आंखें नम थी। हर किसी की जुबान पर निर्मल सिंह की बात थी। फूलों से सजी सेना की गाड़ी में निर्मल का शव तिरंगे में लिपटा आया। गांव पहुंचने पर हिंदुस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद, निर्मल सिंह अमर रहे से आसमान गूंज उठा। करीब दो किलोमीटर तक लोगों की लाइन लगी थी, जबकि सेना से रिटायर्ड हुए करीब डेढ़ सौ पूर्व सैनिक मौजूद रहे। आर्मी की चार गाडिय़ों सहित कार व बाइकों के काफिले के बीच शहीद का शव लाया गया। घरों की छतों तक लोग खड़े थे, जिन्होंने शहीद पर पुष्पवर्षा की।
मां और पत्नी का रो रोकर बुरा हाल
निर्मल सिंह की शहादत पर गांव में वीरवार से ही शोक था। लेकिन जैसे ही पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो लोगों की आंखों में पाकिस्तान के प्रति जहां गुस्सा दिखा, वहीं निर्मल सिंह की मां भजन कौर, पत्नी गुरविंदर कौर सहित तीनों बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। वीरवार की रात को गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। शहीद का भाई बोलने और सुनने में असमर्थ है, लेकिन उसकी आंखों में अपने भाई के शहीद होने का गम भी देखा गया।
साल 2003 में हुआ था सेना में भर्ती
वर्ष 2003 में निर्मल सिंह आर्मी में भर्ती हुआ था। वह बड़ा ही जोशिला था। देश सेवा का जनून उसमें भरा हुआ था। साथियों का कहना है कि साथी के जाने से यूनिट को भी भारी क्षति हुई है। सेना के अफसरों और साथियों ने बताया कि निर्मल सिंह ड्यूटी पर हर समय मुस्तैद रहता था। जो भी कार्य उसे दिया जाता, वह उसे बखूबी निभाता था।
पाक ने किया था सीजफायर का उल्लंघन
आर्मी के कैप्टन अनूपम वशिष्ठ, अनस तालिब ने बताया कि पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघर किया और गोली बारी कर दी। भारत-पाक सीमा पर जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिला के कृष्णा सैक्टर में भारत-पाक सीमा पर हुई इस गोलीबारी में हवलदार निर्मल सिंह को गोली लगी और वह घायल हो गया। उपचार के लिए उसे सेना के अस्पताल लाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। हालांकि इसकी सूचना वीरवार दोपहर दो बजे ही गांव जनसूई के रहने वाले रिटायर्ड वजीर ङ्क्षसह को दे दी थी। लेकिन शहीद की पत्नी गुरविंदर कौर और मां भजन कौर को निर्मल सिंह के घायल होने की बात कही गई थी। करीब चार घंटे के बाद बताया कि निर्मल सिंह शहीद हो गया है।
प्रशासनिक अधिकारियों व नेताओं ने दी शहीद को श्रद्धांजलि
जिला प्रशासन की ओर से डीसी अशोक कुमार, विधायक असीम गोयल, नगर निगम की मेयर शक्ति रानी शर्मा, एसपी हामिद अख्तर, एसडीएम सचिन गुप्ता, पूर्व विधायक जसबीर मलौर, आर्मी के कैप्टन अनुपम वशिष्ठ, अनस तालिब, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, भूतपूर्व सैनिक वेलफेयर सोसायटी से अतर सिंह मुल्तानी व अन्य अधिकारियों ने पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र व पुष्पांजलि चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। दाह संस्कार के समय आर्मी की टुकड़ी ने हथियार उल्टे करके, मातमी धुन बजाकर और हवा में गोलिया दागकर शहीद को सलामी दी।
निर्मल सिंह वर्ष 2003 में दसवीं जम्मू कश्मीर राईफल में भर्ती हुए। उन्होंने कईं स्थानों पर तथा अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करते हुए दुश्मनों को छकाया। जैसे ही सेना की गाड़ी उनके घर के सामने पंहुची, उस समय गांव की महिलाओं का रूदन बहुत ही हृदयविदारक था। मां और उनकी पत्नी सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। स्वर्गीय हवलदार निर्मल सिंह अपने पीछे अपनी माता भजन कौर, पत्नी गुरविंद्र कौर, 9 वर्षीय बेटी हरमनदीप कौर, 4 वर्षीय बेटा वंशदीप तथा अपने छोटे भाई के साथ-साथ अपनी तीन बहनों को छोड़ गये हैं।