DAP Crises: कैथल में बिना खाद के बिजाई करने को किसान मजबूर, जानिए क्या है वजह
किसान मांगेराम ने बताया कि 25 अक्टूबर से डीएपी खाद को लेकर केंद्र केंद्रों के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहा है लेकिन खाद का एक भी कट्टा नहीं मिल रहा है। शुक्रवार शाम को लाइन में लगा था। जब नंबर आया तो पर्ची ही नहीं काटी।
कैथल, जागरण संवाददाता। जिले में डीएपी खाद की भारी किल्लत के चलते किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को 52 हजार कट्टे जिले को मिले थे, लेकिन रात 12 बजे से पहले ही इन कट्टों का वितरण हो गया। शनिवार सुबह से किसान नई अनाज मंडी चौकी के सामने स्थित इफको केंद्र पर खाद लेने के लिए पहुंचे। दोपहर तक लंबी कतार यहां लग गई, लेकिन खाद किसानों को नहीं मिला। किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि गेहूं बिजाई का समय चल रहा है, अब खाद न मिलने के कारण बिजाई का समय निकलता जा रहा है।
वहीं कृषि अधिकारियों का कहना है कि करनाल में रैक लग गया है, रविवार सुबह दस हजार डीएपी खाद के कट्टे जिले में पहुंच जाएंगे। जिले में लागत साढ़े चार लाख कट्टों की है, लेकिन अभी तक दो लाख 20 हजार कट्टे ही पहुंच पाए हैं। कई किसान तो बिना खाद के ही गेहूं बिजाई करने पर मजबूर हो रहे हैं। महिलाएं भी डीएपी खाद लेने के लिए लाइनों लगी नजर आती हैं।
बिना खाद के वापस लौटने पर हुए मजबूर : मांगेराम
किसान मांगेराम ने बताया कि 25 अक्टूबर से डीएपी खाद को लेकर केंद्र केंद्रों के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहा है, लेकिन खाद का एक भी कट्टा नहीं मिल रहा है। शुक्रवार शाम को लाइन में लगा था। जब नंबर आया तो पर्ची ही नहीं काटी। बोले जितना स्टाक आया था वह पूरा हो गया है। शनिवार को आना। सुबह आया तो स्टाक न होने की बात कह वापस लौटा दिया। अब बिना खाद के ही गेहूं की बिजाई करनी पड़ेगी।
किसानों के अनशन के बावजूद नहीं मिल रहा खाद
पिहोवा चौक पर भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने दो दिन अनशन किया था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर किसानों को शांत करते हुए अनशन समाप्त करवाया। शनिवार को खाद उपलब्ध होने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद किसानों को खाद नहीं मिला। केंद्र के बाहर किसान पहुंच रहे हैं, लेकिन पहले से ही लाइन में लगे किसानों को देखकर वापस लौटने को मजबूर हैं। किसान रामकुमार, काला राम ने बताया कि गेहूं की बजाई का समय 25 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। 15 नवंबर तक बिजाई करने का उपयुक्त समय है। अगर खाद ही किसानों को नहीं मिलेगा तो कैसे बिजाई किसान करेंगे। सरकार व प्रशासन को जब जानकारी है कि बिजाई का समय हर साल अक्टूबर व नवंबर माह में होता है तो पहले क्यों नहीं खाद की उपलब्धता को लेकर तैयार की जाती।
पिछले साल आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिले थे सरसों के भाव
सरसों के भाव पिछले सीजन में आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल तक किसानों को मिले थे। सरसों का तेल महंगा होने के कारण किसानों का रुझान इस बार सरसों की फसल की तरफ बढ़ा है। आठ से दस क्विंटल प्रति एकड़ तक सरसों की पैदावार होती है। इस फसल को तैयार करने में खर्च भी कम लगता है और बचत ज्यादा होती है। इसलिए किसानों ने इस बार ज्यादा क्षेत्र में सरसों की फसल लगाई है।
सरसों का रकबा बढ़ने से पांच गुणा बढ़ गई डीएपी खाद की डिमांड : डा. कर्मचंद
कृषि विभाग के उप निदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि इस बार डीएपी खाद की किल्लत होने का मुख्य कारण सरसों का रकबा पिछले सालों की अपेक्षा इस बार चार से पांच गुणा तक बढ़ना है। पिछले साले 1463 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई किसानों ने की थी, लेकिन तेल के बढ़े भाव को देखते हुए इस बार सरसों का रकबा 25 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। सरसों की बिजाई गेहूं की बिजाई से एक माह पहले शुरू हो जाती है। यानि डीएपी की डिमांड हर साल एक नवंबर तक आती थी, लेकिन इस बार 20 सितंबर के बाद ही आनी लगी।
सरसों की बिजाई के दौरान एक एकड़ में एक डीएपी खाद का कट्टा लगता है। सरसों की बिजाई पहले शुरू होने से डिमांड बढ़ गई। विभाग की तरफ से जो तैयारी पहले चरण को लेकर की गई थी, वह पूरी तरह से प्रभावित हो गई। दूसरा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फासफोरस का रा-मटीरियल बढ़ने के कारण कंपनियों को घाटा हुआ तो उन्होंने काम कम कर दिया। अब सरकार ने सब्सिडी को बढ़ाया तो कंपनियों ने खाद की सप्लाई शुरू की।