बंजर भूमि में लहलाएंगी फसलें, सरकार ने शुरू की ये पहल
चंडीगढ़ में कृषि एवं कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक से हुई केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की बैठक है। पूरे प्रदेश की बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य। प्रदेश सरकार पोर्टल कर रही है तैयार।
पानीपत/करनाल, [प्रदीप शर्मा]। अब बंजर भूमि में फसलें लहलाएंगी। प्रदेश भर में 3.15 लाख हैक्टेयर से अधिक बंजर पड़े रकबे को उपजाऊ बनाने के लिए कवायद शुरू हो गई है। इस जमीन में भी गेहूं, सरसों, धान व गन्ने की फसल की अच्छी पैदावार हो सकेगी। इसे लेकर प्लानिंग कई बार बन चुकी हैं। पहले एक लाख हैक्टेयर जमीन को ठीक करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन आठ जनवरी को कृषि एवं कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक अनिल राणा के साथ केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की बैठक हुई।
इसमें प्रदेश में बंजर पड़ी करीब 3.15 लाख हैक्टेयर जमीन को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। पालिसी बदलने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा एक पोर्टल बनाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक एक फरवरी से पोर्टल ओपन किया जाएगा, जिसमें किसान अपनी जमीन की डिटेल भरेंगे। इसके लिए एक माह का समय दिया गया है। उसके बाद एक मार्च से जमीन को उपजाऊ बनाने की पालिसी तैयार होगी। जमीन उपजाऊ हो जाती है तो हरियाणा में खाद्यान्न की कमी नहीं रहेगी। नई पालिसी के तहत सरकार किसानों के साथ मिलकर काम करना चाहती है।
इस पहलू पर किया जा रहा विचार
पहले की गई प्लानिंग में सरकार केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर माडल तैयार कर रही थी, जिसमें सरकार ने अपने खर्च पर जमीन सुधार की दिशा में काम किया। लेकिन माडल के प्रति किसान ज्यादा एक्टिव नहीं दिखे और जहां सरकार ने काम शुरू किया था, वहीं खड़ा रह गया। अब सरकार जमीन ठीक कराने के लिए प्रति एकड़ रुपये निर्धारित कर सकती है, ताकि उनकी जमीन उपजाऊ हो जाए। सरकार का मानना है कि जब किसान अपने कुछ पैसे जमीन सुधार पर लगाएंगे तो वे संभवत: अच्छे से काम कराएंगे।
उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ था कार्य
प्रदेश में बंजर जमीन के सुधारीकरण की दिशा में काम तो पहले से भी चल रहा था, लेकिन उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट सामने नहीं आ रहे थे। इसे गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार ने इसे नए सिरे से काम करने का फैसला लिया है। हरियाणा कृषि विभाग इस दिशा में काम कर रहा था। जमीन के सुधारीकरण को लेकर विभाग का लक्ष्य हर वर्ष 1500 हैक्टेयर को लक्ष्य था, लेकिन इसके मुकाबले औसत महज 700 से 800 से ही आ रही थी। वहीं वर्ष 2017 में तो स्थिति ओर विपरीत रही। इस दिशा में कोई भी कार्य नहीं हुआ। परिणाम बिल्कुल शून्य रहा।
बंजर भूमि उपजाऊ हुई तो हर साल होगा 1.5 मिलियन टन अनाज
सीएसएसआरआइ के मुताबिक हरियाणा में जितनी बंजर जमीन पड़ी है, यदि वह उपजाऊ हो तो 1.5 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हर साल हो सकता है। इसकी कीमत औसत एक हजार करोड़ रुपये बनती है। इस समय प्रदेश में कुल 44 लाख हैक्टेयर भूमि में है, जिसमें से 39 लाख हैक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि है। बाकी लवणीय व क्षारीय भूमि है। इसके सुधार के लिए सरकार ने पहल की है।
प्रदेशभर में जिलेवार में क्षारीय व लवणीय भूमि की स्थिति
जिला लवणीय भूमि क्षारीय हैक्टेयर में
अंबाला 842 4222
भिवानी 3005 12953
फतेहाबाद 4414 7200
फरीदाबाद 7244 1393
गुरुग्राम 9314 00
हिसार 33375 870
कैथल 871 9812
करनाल 21 19162
कुरूक्षेत्र 00 15873
जींद 3170 8635
झज्जर 33784 7762
मेवात 7532 1302
पानीपत 00 7514
रेवाड़ी 7293 00
पलवल 5590 4453
रोहतक 21999 10634
सिरसा 00 30311
सोनीपत 6600 28477
नोट: यह आंकड़े केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी किए गए हैं।
इस संबंध में कृषि एवं कल्याण विभाग हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक हो चुकी है। हमने तकनीक सरकार को दी है, हरसंभव सहायता को तैयार हैं। प्रदेश में बंजर पड़ी जमीन को उपजाऊ करने की दिशा में काम होना है। बैठक में जिसमें प्रदेश में लवणीय व क्षारीय भूमि के सुधार की दिशा में चर्चा हुई थी। एक प्रोजेक्ट के रूप में काम होगा।
डा. डीएस बुंदेला, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसएसआरआइ करनाल।