अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 19 राज्यों से पहुंचे हैं 125 शिल्पकार, कारोबार को लेकर नई उम्मीद जगी

राजस्थान के अजमेर जिले की किशनगढ़ तहसील निवासी दलीप कोठारी को वेलवेट क्लाथ पर पेंटिंग बनाने में महारत हासिल है। पिछले 35 सालों से वे पेंटिंग बनाने का काम कर रहे हैं। महज 10वीं पास दलीप कपड़े पर ऐसे पेंटिंग बनाते हैं कि मानो सजीव चित्रण किया गया हो।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 04:06 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 04:06 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 19 राज्यों से पहुंचे हैं 125 शिल्पकार, कारोबार को लेकर नई उम्मीद जगी
कोरोना काल के बाद अब शिल्पकारों में नई उम्मीद जगी।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कुरुक्षेत्र में कोरोना का साया छंटने के बाद अब शिल्पकारों में नई उम्मीद जगी है कि उनके हुनर के कद्रदान बढ़ेंगे। इसी उम्मीद के साथ वे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचे हैं कि कोरोना के दौरान उन्हें जो नुकसान उठाना पड़ा था, उसकी कुछ हद तक भरपाई हो पाए। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 19 राज्यों से 125 शिल्पकार पहुंचे हैं। इनमें 22 शिल्पी राष्ट्रीय अवार्डी और 18 राज्य अवार्डी हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से 21, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर से 12-12, पश्चिम बंगाल से 11, मध्य प्रदेश व राजस्थान से 9-9 शिल्पकार महोत्सव में पहुंचे हैं।

शिल्पकारों को कोरोना में हुए नुकसान भरपाई की उम्मीद

इन्हीं शिल्पकारों में से एक हैं कपड़े पर पेंटिंग करने वाले दलीप कोठारी। राजस्थान के अजमेर जिले की किशनगढ़ तहसील निवासी दलीप कोठारी को वेलवेट क्लाथ पर पेंटिंग बनाने में महारत हासिल है। पिछले 35 सालों से वे पेंटिंग बनाने का काम कर रहे हैं। महज 10वीं पास दलीप कपड़े पर ऐसे पेंटिंग बनाते हैं कि मानो सजीव चित्रण किया गया हो।

महोत्सव में पहुंचे 22 शिल्पी राष्ट्रीय अवार्डी और 18 राज्य अवार्डी

दलीप बताते हैं कि कोरोना काल से शिल्पकारों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। उन्हें अपने गुजर-बसर के लिए पर्सनल लोन लेना पड़ा। कोरोना के कारण काम-धंधे चौपट हुए तो शिल्पकारों की शिल्पकला भी लाकडाउन हो गई। उनका कहना है कि एक मेले से उन्हें कम से 2 से 2.50 लाख की आमदन होती है, लेकिन इस बार गीता महोत्सव में कद्रदान की कमी खल रही है। उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग 300 रुपये से शुरू होती है और सबसे महंगी पेंटिंग की कीमत 2500 रुपये है। कोरोना में हर क्षेत्र में कारोबार को नुकशान उठाना पड़ा है। इस कड़ी में शिल्पकार पर कोरोना काल की मार झेलनी पड़ थी। इस बार अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव को लेकर शिल्पकारों की नई उम्मीद जगी है।

chat bot
आपका साथी