अवैध भूजल दोहन करने वाले 800 रंगाई उद्योगों पर सीपीसीबी की गाज

सीपीसीबी के नए दिशा निर्देश के अनुसार दो लाख लीटर रोजाना भूजल दोहन करने वालों पर 60 रुपये प्रति एक हजार लीटर व 2 लाख लीटर से अधिक भूजल का इस्तेमाल करने वालों पर 120 रुपये प्रति एक हजार लीटर के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 06:37 AM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 06:37 AM (IST)
अवैध भूजल दोहन करने वाले 800 रंगाई उद्योगों पर सीपीसीबी की गाज
अवैध भूजल दोहन करने वाले 800 रंगाई उद्योगों पर सीपीसीबी की गाज

महावीर गोयल, पानीपत: अवैध भूजल दोहन करने के मामले में एनजीटी के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नई गाइड लाइन जारी की है। छह सदस्यीय कमेटी का गठित कर जुर्माना निर्धारित किया है। जो गैर कानूनी तरीके से अवैध भूजल दोहन करने वाले उद्योगों की जांच कर रिपोर्ट देगी। उद्यमी को पांच साल का पिछला जुर्माना भी भरना होगा।

सीपीसीबी ने इंडस्ट्री की तीन कैटेगरी क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल व ओवर एक्सप्लोटेड (अधिक मात्रा में जल दोहन) बनाई है। इनके मुताबिक ही जुर्माना वसूला जाएगा। पानीपत, समालखा व फरीदाबाद ओवर एक्सप्लोटेड कैटेगरी में शामिल है।

सीपीसीबी के नए दिशा निर्देश के अनुसार दो लाख लीटर रोजाना भूजल दोहन करने वालों पर 60 रुपये प्रति एक हजार लीटर व 2 लाख लीटर से अधिक भूजल का इस्तेमाल करने वालों पर 120 रुपये प्रति एक हजार लीटर के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा। जुर्माना कहां से भरेंगे

पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा का कहना है कि पांच साल तक जिन लोगों ने पानी का दोहन किया है उनसे वसूली की जाएगी। इससे उद्योगों बंद हो जाएंगे। यहां के उद्योग पांच वर्षों का जुर्माना भरने की स्थिति में नहीं है। ज्यादातर बैंक खाते एनपीेए हो जाएंगे। पिछले वर्षों में जो पानी का प्रयोग किया गया है। उसकी वसूली नहीं होनी चाहिए। पानीपत में 800 उद्योग प्रभावित होंगे

भूजल दोहन संबंधी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों से पानीपत के 800 रंगाई उद्योग प्रभावित होंगे। उद्योगों ने अपने ट्यूबवेल लगाए गए हैं। जिनकी अनुमति नहीं ली गई है। इनमें से 506 उद्योगों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कंसेंट है। एनओसी के आवेदन

केंद्रीय भूजल बोर्ड अभी एनओसी देने के लिए उद्योगों से ऑनलाइन आवेदन ले रहा है। इसके लिए जिन उद्योगों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कंसेंट हैं उन्हें 30 सितंबर तक एनओसी के लिए आवेदन देना है। अभी तक 40 आवेदन जमा करा गए हैं। जिन उद्योगों के पास कंसेंट नहीं है और वे प्रदूषण नहीं फैला रहे हैं। उन्हें बोर्ड से एनओसी लेनी होगी। व्हाइट व औरेंज कैटेगरी में आने वाले उद्योगों को कंसेंट नहीं लेना होता है। नया मॉनिटरिग सिस्टम बनाया

सीपीसीबी ने मॉनिटरिग का नया सिस्टम डवलप किया है। नए सिस्टम से कोई उद्यमी अनाधिकृत रूप से भूजल दोहन नहीं कर सकेंगे। समय समय पर इसका रिव्यू भी किया जाएगा। वर्जन :

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन मिलने के बाद ही इस बारे में कोई जवाब देंगे।

भूपेंद्र चहल, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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