Corona Mutant: निमोनिया जमा रहा खून के थक्के, हार्ट फेल होने से जा रही कोरोना संक्रमितों की जान
कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित होती जा रही। इस लहर का म्यूटेंट काफी खतरनाक है। कोरोना संक्रमित होने के बाद निमोनिया और खून के थक्के बनने से मरीज को हार्ट अटैक आ रहा और जान जा रही। चलते फिरते लोग अचानक गिर रहे हैं।
जींद, [कर्मपाल गिल]। कोरोना की दूसरी लहर का म्यूटेंट घातक साबित हो रहा है। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद निमोनिया व खून के थक्के बनने से मरीज हार्ट अटैक से जान गंवा रहे हैं। मौत से पहले मरीज का ऑक्सीजन लेवल ठीक रहता है, लेकिन अचानक हार्ट अटैक आकर धड़कन रुक जाती है।
कोरोना की दूसरी लहर में लोगों में सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि 50 साल से नीचे के लोग भी संक्रमित होकर जिंदगी से हाथ धो रहे हैं। ज्यादातर मृतकों में कॉमन बात यह निकलकर आ रही है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद ऑक्सीजन लेवल भी ठीक था। मरीज खुद चलकर अस्पताल आया था। बिस्तर से खुद ही उठ-बैठ रहा था। अचानक हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। गांवों-शहर में ऐसे केस बराबर देखने को मिल रहे हैं।
नागरिक अस्पताल के फिजिशियन डा. नरेश वर्मा कहते हैं कि निमोनिया होने के बाद हार्ट अटैक की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। अस्पताल में जो मरीज एडमिट हो रहा है, उसको खून पतला होने की दवा दे रहे हैं। घर पर रहने वाले मरीजों को किट दी जा रही है, उसमें खून पतला होने की गोली शामिल नहीं है। क्योंकि इससे ब्लीडिंग होने के चांस रहते हैं। लेकिन इस तरह के काफी केस आ रहे हैं कि ऑक्सीजन लेवल ठीक होने के बावजूद अचानक मौत हो रही हैं। इसका कारण निमोनिया के कारण खून के थक्के जमना ही है। अभी कोरोना से मरने वालों का पोस्टमार्टम नहीं हो रहा है, ऐसे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इसलिए सारा ट्रीटमेंट ट्रायल और एक्सपेरिमेंट आधार पर चल रहा है।
मरीज निमोनिया के लक्षण इस तरह पहचानें
नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा. गोपाल गोयल कहते हैं कि बुखार के बाद निमोनिया है या नहीं, इसकी पहचान मरीज खुद कई तरीके से कर सकते हैं। आम आदमी लंबा सांस 30 सेकेंड तक रोक सकता है। फेफड़ों में सांस भरकर रोकें। 20 सेकेंड तक सांस नहीं रुक रही है तो निमोनिया या फेफड़ों में समस्या है। दूसरा प्लस में ऑक्सीजन चेक करें। मान लिया 95 है तो छह मिनट तक नॉर्मल वॉक करें। इसके बाद सैचुरेशन 95 से 90 हो जाती है तो खतरनाक है। तीसरा सांस की धड़कन है। एक मिनट में 24 से ज्यादा सांस ले रहा है तो यह भी खतरनाक है। ऐसे लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
सिर्फ कोविड में 60 सैचुरेशन में मरीज हंसकर आता है और गिर जाता है
डा. गोपाल गोयल कहते हैं कि कोविड में तीन-चार दिन बुखार चढ़ता है। फिर उतर जाता है। 90 प्रतिशत मरीज इसमें ठीक हो जाते हैं। पांच से सात प्रतिशत मरीजों को निमोनिया हो जाता है। निमोनिया होते ही ऑक्सीजन कम हो जाती है। किसी भी बीमारी में ऑक्सीजन लेवल 90 से कम होने पर चक्कर आना, उलटी होना या सिरदर्द हो जाता है। सिर्फ कोविड ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज 60 सैचुरेशन में भी हंसता हुआ चलता-फिरता आता है। उसको पता ही नहीं होता कि सैचुरेशन कम हो रही है। अचानक चक्कर खाकर गिरता है। क्योंकि उसके फेफड़े, दिल, किडनी खराब हो चुकी होती है। इसको हैप्पी हाइटोक्सिया भी कहते हैं।
केस 1: मौत से एक घंटा पहले तक ठीक थे एंबुलेंस चालक हिम्मत
नागरिक अस्पताल के एंबुलेंस चालक 33 वर्षीय हिम्मत सिंह की सात दिन पहले मौत हुई थी। वेंटिलेटर की जरूरत पड़ने पर उन्हें हिसार के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। सुबह 6 बजे तक उनकी सेहत ठीक थी। ऑक्सीजन लेवल सही था। खुद बिस्तर से उठ रहे थे। एक घंटे बाद 7 बजे अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई।
केस 2: एएसआई राजेंद्र ने मौत से कुछ देर पहले पी थी चाय
जींद के घिमाना गांव के एएसआई राजेंद्र सिंह की हिसार जिले की बास पुलिस चौकी में ड्यूटी थी। सुबह चौकी से ही घर पर मैसेज आया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। सहकर्मी ही उन्हें अस्पताल में लेकर आए और टेस्ट कराए। सीटी स्कैन कराकर कोरोना वार्ड में लेकर गए। वहां चाय भी पी और अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई।
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