आखिरी सांस तक कोरोना योद्धा की तरह लड़े कुरुक्षेत्र के डॉक्‍टर रविकांत, अब जिंदगी की जंग हारे

कोरोना की जंग हारे कुरुक्षेत्र अस्‍पताल के योद्धा डा. रविकांत। आइसोलेशन वार्ड में थे तैनात। एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में चार-पांच माह से तैनात थे डा. रविकांत। ढाई माह पहले अपने जन्मदिन पर गाना गाकर शेयर किया था फेसबुक पर।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 05:21 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 05:21 PM (IST)
आखिरी सांस तक कोरोना योद्धा की तरह लड़े कुरुक्षेत्र के डॉक्‍टर रविकांत, अब जिंदगी की जंग हारे
कोरेाना योद्धा डॉक्‍टर रविकांत कोरोना से जंग हार गए।

कुरुक्षेत्र, जेएनएन। ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम तेरी राहों में जां तक लुटा जाएंगे, फूल क्या चीज है तेरे कदमों पे हम भेंट अपने सिरों की चढ़ा जाएंगे...। 23 मार्च को गाना गाकर अपने फेसबुक पेज पर शेयर करने वाले एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में तैनात डा. रविकांत ने इन शब्दों के मायनों को खूब निभाया। 

कोरोना वायरस के मरीजों का उपचार करते-करते वे 20 दिन पहले कोविड पॉजिटिव हो गए और आखिरी सांस तक एक कोरोना योद्धा की तरह लड़ें। सोमवार देर रात को वे कोरोना से जंग हार गए। उन्होंने डेडिकेटिक कोरोना अस्पताल में आखिरी सांस ली। मंगलवार को उनकाे पुलिस लाइन के पीछे श्मशान घाट में अंतिम विदाई दी। जिंदादिल कोरोना योद्धा डा. रविकांत के अचानक यूं चले जाने पर एलएनजेपी अस्पताल स्टाफ और आइसोलेशन वार्ड के स्टाफ की आंखें नम हो गई। 

गौरतलब है कि चार से पांच माह से उनकी ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड में थी। वे 20 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हो गए। तीन दिन तक वे एलएनजेपी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ही दाखिल रहे। इसके बाद हालत बिगड़ने पर उन्हें डेडिकेटिड कोरोना अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जहां एक बार वेंटिलेटर पर जाने के बाद वापस लौट भी आए, लेकिन एकाएक उनकी तबीयत बिगड़ गई। सोमवार रात को अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे अपनी पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए हैं। कोरोना योद्धा डा. रविकांत को सीएमओ डा. सुखबीर सिंह, पूर्व डिप्टी सिविल सर्जन डा. एनपी सिंह, डिप्टी सिविल सर्जन डा. आरके सहाय, डा. अनुपमा, डा. सुरेश शर्मा, एनएचएम संगठन के प्रेस सचिव नीलकंठ शर्मा ने श्रद्धांजलि दी। 

कोरोना पॉजिटिव मरीजों को गाना सुनाकर करते थे प्रेरित 

आइसोलेशन वार्ड में कंप्यूटर ऑप्रेटर पुनीत कुमार ने बताया कि डा. रविकांत एक चिकित्सक होने के साथ-साथ जिंदादिल इंसान थे। उसने उनके साथ चार से पांच माह ड्यूटी की है। अगर कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज परेशान होता था या डरता था तो उसे दवा देने के साथ-साथ गाना सुनाते थे। इससे कोरोना पॉजिटिव मरीज का हौसला बढ़ जाता था। वे हर किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज को प्रेरित करते थे। आइसोलेशन वार्ड में सन्नाटा पसरा रहता था, लेकिन उनके आने के बाद हंसी और खुशी का माहौल बन जाता था। 

ढाई माह पहले अपने जन्मदिन पर गाना गाकर शेयर किया था 

ठीक ढाई माह पहले डा. रविकांत का जन्मदिन था। फरवरी माह की 20 तारीख को उन्होंने अपने जन्मदिन पर दोस्तों व परिजनों की डिमांड पर एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई, गाना गाया था। उनके गाने की वीडियो उनके दोस्त और परिवार के लोग बार-बार सुनकर यही सोच रहे हैं कि इतना जिंदादिल इंसान उनके बीच से चला गया।

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