सास-बहू की मेहनत से हारा कोरोना, स्वस्थ हुए स्वजन

रेलवे रोड की रुकमणि और उनकी बहू रिचा की तीमारदारी का ही असर हुआ कि रुकमणि के पति राजेंद्र उनके दोनों बेटों ने कोरोना को हरा दिया। सास-बहू ने 14 दिन तक दवा खाना चाय काढ़ा समय पर दिया। दूर रहकर भी हौसला बढ़ाती रहीं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Apr 2021 11:18 PM (IST) Updated:Thu, 29 Apr 2021 11:18 PM (IST)
सास-बहू की मेहनत से हारा कोरोना, स्वस्थ हुए स्वजन
सास-बहू की मेहनत से हारा कोरोना, स्वस्थ हुए स्वजन

जागरण संवाददाता, समालखा : रेलवे रोड की रुकमणि और उनकी बहू रिचा की तीमारदारी का ही असर हुआ कि रुकमणि के पति राजेंद्र, उनके दोनों बेटों ने कोरोना को हरा दिया। सास-बहू ने 14 दिन तक दवा, खाना, चाय, काढ़ा समय पर दिया। दूर रहकर भी हौसला बढ़ाती रहीं।

राजेंद्र ने बताया कि परिवार के पांच सदस्यों को एक-एक कर बुखार हुआ। सभी ने चेकअप करवाया तो तीनों पुरुषों को कोरोना मिला। डॉक्टर ने तीनों को होम आइसोलेट होने की सलाह दी। घर के मुखिया सहित तीनों पुरुषों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद महिलाओं ने कमान संभाली। बाजार से लेकर घर के कामों को बखूबी पूरा किया। नियमित सैनिटाइजेशन और सफाई में कोताही नहीं बरती।

शर्मा कहते हैं कि बाजार से डिस्पोजल प्लेट, ग्लास, चम्मच लाए। मरीजों को खाना, पानी, चाय, काढ़ा डिस्पोजल में गेट के पास देने लगे। पॉलीथिन बैग में डिस्पोजल कचरा डाल देते थे। अस्पताल के वाहन आने पर लकड़ी से उठाकर डिस्पोजल उसमें डाल देती थीं। कपड़ों की सफाई में भी सतर्कता बरती। गर्म पानी और सर्फ में कपड़ा डुबोने के बाद दस्ताने हाथों में पहनकर सफाई की।

सभी के कमरे में आक्सीजन और बु्खार मापने के लिए आक्सीमीटर व थर्मा मीटर की व्यवस्था की। डॉक्टरों के संपर्क में रहे। मोबाइल के जरिए सभी से संपर्क साधते रहे। कहानी, मोबाइल चैटिग, गेम्स, व्यायाम में कैसे 14 दिन बीत गए, किसी को कुछ पता नहीं चला। उनके स्वजनों की हिम्मत और संयम को देख कोरोना जान बचाकर भाग गया।

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