Air Pollution: अस्थमा से भी खतरनाक है सीओपीडी, फेफड़ों में पहुंच रहा 20 सिगरेट का धुंआ; जानें- लक्ष्ण व बचाव
वायु प्रदूषण की वजह से आम लोग हो रहे बीमार। क्या आप जानते हैं सीओपीडी कोई अस्थमा रोग नहीं है। लक्षण एक हैं लेकिन ये अस्थमा से भी ज्यादा गंभीर है। इससे हार्ट में दिक्कत फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। स्माग की चादर ने आसमान को घेरा हुआ है। राजधानी दिल्ली से लेकर एनसीआर एरिया इससे प्रभावित है। इसकी वजह है वायु प्रदूषण। क्या आप जानते हैं कि इस वजह से सीओपीडी हमें घेर सकता है। सीओपीडी यानी क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज। इसे अधिकांश लोग अस्थमा समझ लेते हैं। दोनों रोग के लक्षण एक हैं, हालांकि सीओपीडी अस्थमा से ज्यादा गंभीर है। यह फेफड़ों का ऐसा रोग है जिससे मरीज श्वास नहीं ले पाता। इसका बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। धूम्रपान नहीं करने लोगों के फेफड़ों तक भी रोजाना 20 सिगरेट के बराबर धुआं पहुंच रहा है।
जानलेवा है बीमारी: सीओपीडी जानलेवा रोग है। सिगरेट में मुख्यत: निकोटिन, कार्बन मोनोक्साइड, आरसेनिक, कैडमियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं।
सीओपीडी का लक्षण:
एलर्जी रहना लगातार जुकाम छाती में जकड़न श्वास लेने में कठिनाई कमजोरी व थकान रहना लगातार बलगम के साथ खांसी होंठों या नाखूनों की जड़ में नीलापन श्वास लेते समय घरघराट की आवाज आनासिविल अस्पताल के प्रिंसिपल मेडिकल आफिसर (पीएमओ) एवं फिजिशियन डा. संजीव ग्रोवर ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि 17 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया गया था। सीओपीडी को लोग धूम्रपान करने वाले और बुजुर्गों की बीमारी मानते थे। नए शोध बताते हैं कि यह बीमारी धूम्रपान नहीं करने वालों को भी सता रही है।
इस रोग से श्वास संबंधी दिक्कत के अलावा दिल की समस्याएं, फेफड़ों का कैंसर, तनाव हो सकता है। वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सीओपीडी के मुख्य कारणों में 53.7 प्रतिशत वायु प्रदूषण, 25.4 प्रतिशत धूम्रपान, 16.5 प्रतिशत उद्योग जनित प्रदूषण हैं। सीओपीडी से ग्रस्त मरीजों को कोविड-19 का खतरा भी अधिक रहता है। डा. ग्रोवर के मुताबिक सीओपीडी के मरीज को इनहेलर का इस्तेमाल करना चाहिए। फेफड़ों की एक्सरसाइज भी जरूरी है।
ऐसे करें बचाव:
घर को धूल से मुक्त रखें
धुआं वाले वातावरण से दूर रहें
पालतू जानवरों को रूसी से मुक्त रखें