खबर हमारे काम की, उपभोक्‍ता फोरम ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर दिलाए दस लाख

कंपनी ने चोरी हुए ट्रक का नहीं दिया बीमा, उपभोक्ता फोरम ने दिलाया मुआवजा। मुआवजा देने की तारीख तक 9 प्रतिशत ब्याज भी देने के निर्देश। एनओसी की आड़ में कंपनी नहीं दे रही थी बीमा।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Tue, 16 Oct 2018 03:19 PM (IST) Updated:Tue, 16 Oct 2018 04:15 PM (IST)
खबर हमारे काम की, उपभोक्‍ता फोरम ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर दिलाए दस लाख
खबर हमारे काम की, उपभोक्‍ता फोरम ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर दिलाए दस लाख

जेएनएन, पानीपत - एनओसी की आड़ में इंश्योरेंस कंपनी ने ट्रक चोरी होने पर उपभोक्ता को बीमा देने से इंकार कर दिया। बलदेव नगर निवासी ने कई बार कंपनी को नोटिस दिए लेकिन कंपनी ने कोई सुनवाई नहीं की। इसके बाद उपभोक्ता ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। 10 माह चली सुनवाई के बाद फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को 9 फीसद ब्याज के साथ उपभोक्ता को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए। उपभोक्ता फोरम ने अपने इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट फुल बैंच के वर्ष 2018 के फैसले का भी हवाला दिया है। एक माह के भीतर यह राशि लौटाने के आदेश दिए हैं।

अंबाला के बलदेव नगर में रहने वाले सतीश चावला ने 26 नवंबर, 2015 को इंश्योरेंस कंपनी से 25 नवंबर 2016 तक अपने ट्रक का बीमा करवाया। इससे पहले 10 नवंबर 2015 को उसने इस ट्रक को पंचकूला के ओमप्रकाश का साढ़े 10 लाख रुपये में बेचने का सौदा कर लिया। ओमप्रकाश ने इसके लिए सुभाष को एक लाख रुपये का बयाना दे दिया था। एक लाख रुपये का बयाना मिलने के बाद सुभाष ने ट्रक की एनओसी जारी करवा ली। निर्धारित समय तक ओमप्रकाश ने ट्रक की पूरी पेमेंट जमा नहीं करवाई। दोनों के बीच चल रहा एग्रीमेंट रद हो गया। इसी बीच 2 दिसंबर 2015 को सुभाष का ट्रक चोरी हो गया।

तब डालनी पड़ी याचिका
सुभाष ने तीन दिसंबर को इसकी शिकायत पुलिस कंट्रोल रूम में कर दी। साथ ही नौ दिसंबर को क्लेम के लिए कंपनी में आवेदन कर दिया। कंपनी ने यह कहकर पैसे देने से इंकार कर दिया कि उसने तो एनओसी ही जारी करवा ली थी। अब गाड़ी पर उसका मालिकाना हक नहीं बनता। इसके बाद 27 दिसंबर, 2017 व अलग-अलग तारीख में सुभाष ने कंपनी को लीगल नोटिस भेजे। दो जनवरी 2018 में सुभाष ने उपभोक्ता फोरम में याचिका डाली।

कंपनी का तर्क और उपभोक्‍ता का जवाब और ये फैसला
कंपनी ने उपभोक्ता फोरम में तर्क दिया कि उपभोक्ता ने ट्रक चोरी होने के 24 दिन बाद मामला दर्ज करवाया। साथ ही एनओसी किसी ओर के नाम जारी होने पर सुभाष बीमा के लिए क्लेम नहीं कर सकता। इस पर सुभाष ने बताया कि उसने सारी जानकारी आरटीआइ से हासिल की। इसमें 24 दिन का समय लगा। पुलिस ने ट्रक चोरी होने के बाद उसे अनट्रेस होने की रिपोर्ट ड्यूटी मजिस्ट्रेट को देने की बात कही गई थी। एनओसी जारी होने के बाद बीमा नहीं मिलने के सवाल पर उपभोक्ता फोरम के प्रधान डीएन अरोड़ा ने बताया कि नवीन बनाम विजय कुमार एंड अदर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि जब तक व्हीकल किसी दूसरे के नाम रजिस्टर्ड नहीं होता और उसका रिकार्ड रजिस्टर्ड में दर्ज नहीं होता, तब तक वाहन पर पुराने मालिक का ही हक रहेगा, इसीलिए रजिस्टर्ड ऑनर ही क्लेम लेने और देने, दोनों स्थितियों में वही जिम्मेदार है।

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