कांग्रेस 7 साल से संगठन नहीं खड़ा कर सकी, पानीपत में बढ़ती जा रही खेमेबाजी

हरियाणा में कांग्रेस की राजनीति बिना संगठन के चल रही है। तभी तो कांग्रेस सात साल से संगठन नहीं खड़ा कर सकी। कांग्रेस की खेमेबाजी की चर्चा हर प्रदर्शन या चुनाव में देखने को मिल जाती है। कहीं खेमेबाजी खाई गहराने का तो नहीं डर।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 03:53 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 03:53 PM (IST)
कांग्रेस 7 साल से संगठन नहीं खड़ा कर सकी, पानीपत में बढ़ती जा रही खेमेबाजी
हरियाणा में सात साल में कांग्रेस संगठन नहीं।

पानीपत, जेएनएन। राजनीति कार्यकर्ताओं के बलबूते पर की जाती है। कार्यकर्ता संगठन से जुड़े होते हैं। संगठन से ही पार्टी बनती है। कांग्रेस इस चिरपरिचित फार्मूले को शायद भूल चुकी है, या फिर धरातल पर लागू ही नहीं करना चाहती। शीर्ष नेताओं को खेमबाजी गहराने का डर तो नहीं सता रहा है? हरियाणा में सात वर्षों से संगठन खड़ा करने का साहस नहीं जुटाना कुछ ऐसा ही इशारा है।

बात जिला पानीपत की करते हैं। चार विधानसभा सीट हैं, दो पर (समालखा और इसराना) कांग्रेस काबिज है तो दो (पानीपत शहर व पानीपत ग्रामीण) पर भाजपा के विधायक हैं। हरियाणा कांग्रेस में पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी कुमारी सैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की खेमेबाजी से कोई इन्कार भी नहीं कर सकता। कालांतर में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे (अपना भारत मोर्चा के संयोजक) अशोक तंवर की हुड्डा से राजनीतिक अदावत जगजाहिर थी। नतीजा, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में कांग्रेस को पूरे प्रदेश में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि पानीपत में स्थिति संतोषजनक रही। तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों का एक वर्ग भाजपा से नाराज है। खेमेबाजी के कारण कांग्रेस अब भी उस वर्ग को भुना नहीं पा रही है। जिले में धरना-प्रदर्शन तो हुए, गुटबाजी साफ दिखी।

कुमारी सैलजा ने जिला-ब्लाक स्तर पर संगठन खड़ा करने के अनेक बार बड़े-बड़े दावे किए हैं। मार्च 2021 में जिला-ब्लाक अध्यक्ष पदों के लिए पर्यवेक्षकों ने नाम लिए थे। मई के प्रथम सप्ताह में जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा होनी थी, नतीजा ढाक के तीन पात जैसा है।

सभी कार्यकर्ता एकजुट

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के जिला समन्वयक बिजेंद्र सिंह (बिल्लू) कादियान ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शीर्ष नेताओं की बैठक नहीं हो सकी है। जिला-ब्लाक अध्यक्ष बनने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। हालांकि, तमाम आंदोलनों में पार्टी नेता-कार्यकर्ता एक मंच पर दिखे हैं।

इसी माह घोषणा संभावित

कांग्रेस नेता संजय अग्रवाल ने कहा कि अब जिला में खेमेबाजी-गुटबाजी जैसी स्थिति नहीं है। पार्टी के शीर्ष नेता भी जानते हैं कि कौन काम कर रहा है, कौन नहीं। इसी माह जिला-ब्लाक अध्यक्षों के नामों की घोषणा संभावित है।प्रदेश कार्यकारिणी में कई नाम शामिल होंगे।

फैसला प्रदेश अध्यक्ष लेंगी 

कांग्रेस नेता विरेंद्र उर्फ बुल्लेशाह ने कहा कि मैं पार्टी का पुराना वर्कर हूं। सभी जानते हैं कि सदैव पार्टी के हित में काम किया है। रही बात संगठन खड़ा करने की, जिला-ब्लाक अध्यक्ष कौन होगा, निर्णय प्रदेश अध्यक्ष को लेना है। हमें तो निर्देशों का पालन करना है।

शहर जिलाध्यक्ष पद के दावेदार

संजय अग्रवाल, विरेंद्र उर्फ बुल्लेशाह, एडवोकेट नरेश अत्री, प्रेम सचदेवा, सुभाष बठला और शशि लूथरा।

ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद के दावेदार

बिजेंद्र उर्फ बिल्लू कादियान, कर्ण सिंह कादियान, ओमवीर पंवार, जगदेव मलिक, संजय छौक्कर, बलबीर रावल, रामबाबू, धर्मपाल गुप्ता, धर्मवीर मलिक, खुशीराम जागलान, विकास त्यागी और शौर्यवीर कादियान।

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