एसएनसीयू से पांच बच्चों के रेफर मामले की जांच करेगी कमेटी
पानीपत के सिविल अस्पताल के सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती पांच नवजातों का मामला तूल पकड़ गया है।
जागरण संवाददाता, पानीपत
सिविल अस्पताल के सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती पांच नवजात को खानपुर रेफर करने के मामले की जांच के लिए अस्पताल प्रबंधन ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। कमेटी में शामिल डॉ. विजय मलिक और डॉ. श्यामलाल को सभी पक्षों से जानकारी लेकर और शिशुओं को दिए जा रहे इलाज की डिटेल एकत्र कर दो दिन में रिपोर्ट चिकित्सा अधीक्षक को सौंपनी है।
गत रविवार को एसएनसीयू में डॉ. एकता की ड्यूटी थी। तीन बच्चों की प्लेटलेट्स ज्यादा कम होने और दो बच्चों को सांस लेने में अधिक तकलीफ होने के कारण परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया था। डॉ. एकता ने मामले की सूचना देने के लिए
एसएनसीयू प्रभारी डॉ. दिनेश दहिया को कॉल की थी, आरोप है कि उन्होंने रिसीव नहीं की। बच्चों की हालत नाजुक देखकर डॉ. एकता ने पांचों बच्चों को अलग-अलग समय पर खानपुर मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर किया था। डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. नवीन सुनेजा के के निर्देश पर एमएस डॉ. आलोक जैन ने सोमवार को जांच टीम गठित कर रिपोर्ट तलब की है। बताया गया है कि तीन नवजात की प्लेटलेट्स 18-40 हजार तक पहुंच गई थी। कुछ देर होती तो शिशुओं की जान भी जा सकती थी।
डॉ. आलोक जैन ने बताया कि टीम के सदस्य संबंधित डॉक्टरों के अलावा एसएनसीयू में ड्यूटी करने वाले अन्य डॉक्टर और स्टाफ नर्सों से बात कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। जांच में कोई दोषी मिला तो उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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वर्जन :
नवजात शिशुओं के शरीर में भी प्लेटलेट्स की संख्या कम से कम डेढ़ लाख होनी चाहिए। पचास हजार से कम संख्या होने पर बच्चों की जान को खतरा उत्पन्न हो जाता है। तीनों बच्चों की प्लेटलेट्स संख्या कम की रिपोर्ट मिली थी। इसलिए उन्हें रेफर किया गया।
-डॉ. एकता
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अस्पताल में नहीं वेंटीलेटर
प्रदेश सरकार ने तकरीबन 42 करोड़ की लागत से सिविल अस्पताल की नई इमारत तो खड़ी कर दी, लेकिन वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। नतीजा, सांस लेने में दिक्कत होने पर रोजाना दो-तीन बच्चों को खानपुर रेफर किया जाता रहा है। अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञों की भी कमी है। एसएनसीयू में इंक्यूबेटर भी कम :
एसएनसीयू में इंक्यूबेटर (तापमान संतुलित करने वाली मशीन) की संख्या भी सिर्फ 12 है। एक इंक्यूबेटर में दो नवजात शिशुओं को रखना पड़ रहा है। बच्चों में एक-दूसरे से संक्रमण होने की संभावना भी बनी रहती है। मई में निरीक्षण के लिए पहुंचे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) पानीपत के सदस्य भी इस पर एतराज जाहिर कर चुके हैं।