करनाल में जमीन की पैमाइश के नाम पर कमीशन का खेल, किसानों से 35 हजार तक ऐंठ रहे
करनाल में जमीन की पैमाइश के लिए किसानों से 35 हजार रुपये तक ऐंठे जा रहे हैं। किसान के आवेदन पर विभाग की तरफ से बिना फीस पैमाइश की जिम्मेदारी बनती है। बावजूद इसके सुविधा के नाम पर चहेते सर्वेयर को आगे किया जाता है।
करनाल, जेएनएन। जमीन की पैमाइश के नाम पर करनाल में किसानों से 15 से 35 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। अधिकारियों की कार्यशैली बेशक इस पर पर्दा डालने वाली है लेकिन कमीशन के चक्कर में पटवारखाने के बाबुओं को अधिक से अधिक आवेदन की तलाश रहती है।
जिले के उच्चाधिकारियों की नाक तले वर्षों से चल रहे इस खेल को रोकने के लिए अभी तक कम्प्यूटरराइज्ड मशीनों भी उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। दूसरी तरफ किसान के आवेदन पर विभाग की तरफ से बिना फीस पैमाइश की जिम्मेदारी बनती है। बावजूद सुविधा के नाम पर चहेते सर्वेयर को आगे किया जाता है। पटवारखाने के हालात ऐसे हैं कि पटवारियों के केबिन के बाहर सर्वेयरों के पंफ्लेट चस्पे दिखाई देते हैं।
जमीन की पैमाइश के लिए किसान दे रहा 30-35 हजार रुपए
मामले का खुलासा तब हुआ जब बलड़ी के किसान रोहित को सर्वेयर ने एडवांस में ली राशि वापस करने से मना कर दिया और पटवारखाने के बाबू भी हाथ पीछे खींचते दिखाई दिए। किसी तरह सर्वेयर से किसान ने राशि तो वापस ले ली लेकिन किसान को राहत देने के लिए किसी तरह के ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। किसान रोहित ने बताया कि विभाग के पास कंप्यूटरराइज्ड मशीन न होने के कारण संबधित पटवारी किसान के आवेदन पर अपने चहेते सर्वेयर के पास भेजते हैं। हैरानी है कि नक्शा पटवारी उपलब्ध करवाता है और मोटी फीस लेकर निजी सर्वेयर पैमाइश करता है। अधिकतर खेतों में निशानदेही पत्थर गायब हैं और विभाग के अधिकारी भी इस पर वर्षों से गंभीर नहीं हैं। इसके चलते किसानों में विवाद उत्पन्न होते हैं। जब कभी किसी किसान को जमीन खरीदनी या बेचनी होती है तब परेशानी और बढ़ जाती है।
कई बार किसान कर चुके शिकायत : तरलोचन
कांग्रेस के जिला संयोजक तरलोचन सिंह ने बताया कि जमीन पेमाइस को लेकर उनके पास कई किसानों की शिकायतें आती रहती हैं और इस संबंध अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। जिले के लगभग गांवों के रकबे में लगे पत्थर अपने स्थान से हिल चुके हैं। जिसके चलते किसानों में जमीन की डोल-खाल इत्यादि को लेकर विवाद पैदा हो जाता है। विभाग के पास जब किसान पहुंचता है तो उसे कम्प्यूटराइज्ड मशीन से पेमाइश करवाने के नाम पर हजारों रुपए देने पड़ते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के कुछ अधिकारी अपनी आमदनी के जरिए को खत्म नहीं करना चाहते हैं।
अपने स्तर पर सर्वेयर उपलब्ध करवा सकता है किसान : राजबख्श
तहसीलदार राजबख्श ने बताया कि खेतों में निशानदेही की लगाए गए पत्थर कभी कभार नहीं मिलते। जिससे चलते पुराने तरीके से पेमाइश नहीं हो पाती है। किसान की संतुष्टि के लिए कम्प्यूटरराइज्ड मशीन द्वारा पेमाइश करवाई जाती है। अधिक राशि वसूले जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं कि किसी एक सर्वेयर को यह काम सौंपा जाना है। किसान अपने स्तर पर सर्वेयर से सस्ते में करवाता है तो विभाग को इस पर कोई आपत्ति नहीं रहती।
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