Coal Crisis: बिजली के संकट से कोयले के भाव तीन गुना बढ़े, तेजी से बढ़ रहे हैं इन चीजों के रेट

भट्ठों पर जो कोयला ईंट पकाने में इस्तेमाल होता है वह पहले गुवाहाटी व रानीगंज समेत अन्य खादानों से आता था। परंतु चार-पांच साल से यही कोयला यूएसए से आ रहा है। परंतु इस बार बरसात अधिक होने के कारण यूएसए से भी कोयला कम आने लगा है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 08:26 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:26 PM (IST)
Coal Crisis: बिजली के संकट से कोयले के भाव तीन गुना बढ़े, तेजी से बढ़ रहे हैं इन चीजों के रेट
कोयला सात हजार से बढ़कर 22 हजार रुपये टन हो गया।

राजेश कुमार, यमुनानगर। कोयले के कम उत्पादन का असर थर्मल पावर प्लांटों पर ही नहीं, बल्कि ईंट भट्ठों पर भी पड़ा है। ईंट भट्ठों पर इस्तेमाल होने वाले कोयले का रेट सात हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन से 22 हजार रुपये हो गया है। यही वजह है कि जिले के ईंट भट्ठे इस सीजन में अभी तक नहीं चल सके हैं। भट्ठों के नहीं चलने से ईंटों का रेट भी 1500 से 1700 रुपये तक बढ़ गया है। यही यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में रेट में ओर भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।

यूएसए से आता है भट्ठों का कोयला

भट्ठों पर जो कोयला ईंट पकाने में इस्तेमाल होता है वह पहले गुवाहाटी व रानीगंज समेत अन्य खादानों से आता था। परंतु चार-पांच साल से यही कोयला यूएसए से आ रहा है। परंतु इस बार बरसात अधिक होने के कारण यूएसए से भी कोयला कम आने लगा है। ईंट भट्ठा एसोसिएशन की माने तो पहले यूएसए से सात हजार रुपये प्रति टन कोयला आ रहा था। जिसकी कीमत अब 22 हजार रुपये टन हो गई है। इसके अलावा गुजरात बंदरगाह से गाड़ी में लाने पर तीन हजार रुपये किराया अलग से है। इस तरह एक टन कोयला 25 हजार रुपये में पड़ रहा है। कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण अभी तक कोई भट्ठा चलाने की सोच भी नहीं रहा है।

जिले में हैं 96 ईंट भट्ठे 

जिले में 96 ईंट भट्ठे हैं। आमतौर पर सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर तक भट्ठों में ईंटों की पथेर का काम शुरू हो जाता था। सर्दी में कच्ची ईंट अंदर से नहीं सूखती इसलिए कोयले की खपत ज्यादा होती है। जबकि गर्मी में कम खपत होती है। इस तरह एक लाख ईंट पकाने पर औसतन 13 से 14 टन कोयले की खपत होती है। परंतु कोयले की कीमत तीन गुणा से अधिक बढ़ जाने से भट्ठा संचालकों की नींद उड़ गई है।

4800 से 6500 रुपये हुआ ईंट का रेट 

जून माह तक एक हजार ईंटों का रेट 4800 रुपये था। लेकिन भट्ठे अभी तक नहीं चल पाए हैं। दूसरा ईंटों का स्टाक भी धीरे-धीरे कम होने लगा है। इसलिए ईंट का रेट 6300 से 6500 रुपये एक हजार हो गया है। यदि महंगा कोयला खरीद कर भट्ठे चलाते हैं तो भी ईंटों का रेट कम होने की कोई संभावना नहीं है।

कोयले का रेट बढ़ने से परेशान हैं : रणबीर कांबोज

ईंट भट्ठा एसोसिएशन यमुनानगर के जिला प्रधान रणबीर कांबोज का कहना है कि कोयला सात हजार से बढ़कर 22 हजार रुपये टन हो गया है। इससे सभी भट्ठा संचालक परेशान हैं। पिछले दिनों हुई मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि सभी भट्ठे 15 अक्टूबर से चला लेंगे। परंतु अब ऐसा नहीं होगा। आने वाले दिनों में ईंटों का रेट ओर बढ़ेगा। अभी कुछ माह भट्ठे चलने की उम्मीद भी नहीं है।

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