Olympic Games Tokyo 2020: अर्जुन अवार्डी ओलंपियन नीरज का गांव खंडरा, अब यहां बच्चा-बच्चा फेंकने लगा भाला
अर्जुन अवार्डी ओलंपियन नीरज पानीपत के गांव खंडरा के रहने वाले हैं। अब नीरज का गांव बदल रहा है। वहां का बच्चा बच्चा उनसे प्रेरित होकर खेल की ओर रुख करा रहा है। आसपास के गांवों से भी बच्चे अभ्यास करने आते हैं। हर किसी का नीरज बनने का सपना।
पानीपत (थर्मल), [सुनील मराठा]। एक विजेता किस तरह पूरे गांव की तस्वीर बदल देता है, यह देखना है तो पानीपत पहुंच सकते हैं। कभी अनजान रहने वाला मतलौडा का खंडरा गांव अब अर्जुन अवार्डी नीरज चोपड़ा के नाम से जाना जाता है। वही नीरज, जिसने एशियाड में भाला फेंककर गोल्ड जीता। उसी का ही असर है कि अब गांव में बच्चा-बच्चा हाथ में भाला लेकर सुबह और शाम को संस्कृति पब्लिक स्कूल, खंडरा के खेल मैदान में अभ्यास करने के लिए दौड़ रहा होता है। नीरज से ओलंपिक में देश को बड़ी उम्मीदें हैं।
खंडरा गांव में अब रोज 100 के करीब लड़के व लड़कियां भाला फेंकने का अभ्यास करते नजर आते हैं। यहां गांव खंडरा के ही नहीं, साथ लगते गांवों आसन कलां, थिराना, शेरा व बाल जाटान से भी बच्चे आते हैं। ये सभी शाम को 2-3 घंटे गांव स्थित संस्कृति पब्लिक स्कूल के मैदान में पसीना बहाते हैं।
खंडरा वासी भी दूसरे गांवों से आने वाले बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही अभ्यास करवाते हैं। संस्कृति पब्लिक स्कूल के चेयरमैन कर्मवीर चोपड़ा ने इन बच्चों को अभ्यास करवाने के लिए तीन कोच निशुल्क उपलब्ध करवा दिए हैं। यहां पर अभ्यास करने वाले हर लड़के व लड़की के मन में नीरज बनने का सपना है।
रोज 3-4 घंटे पसीना बहाते हैं बच्चे
गांव के स्कूल मैदान में बच्चों को अभ्यास करवाने के लिए कोच हरेंद्र पानीपत से आते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में नीरज चोपड़ा जैसा बनने का जुनून है। उनके जुनून के सामने गर्मी, सर्दी व बरसात का कोई फर्क नहीं पड़ता। यह बच्चे हर रोज तीन से चार घंटे अभ्यास करते हैं। ये सभी खिलाड़ी महीने में लगभग दो बार पानीपत तक रेस लगाने का अभ्यास भी करते हैं।
कभी रेस लगाता था नीरज
नीरज चोपड़ा भी शुरुआत में वजन कम करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में रेस लगाने जाता था। वहां पर अपने से बड़े बच्चों को जैवलिन थ्रो खेलता देख उसने भी इसी खेल को चुन लिया। जब कड़ी मेहनत व भाग्य ने साथ दिया तो नीरज ऊंचाइयों की ओर बढ़ता ही चला गया। कुछ दिन यहीं पर अभ्यास किया और इसके बाद सन 2011 में कोच नसीम अहमद के पास पंचकूला के स्पोट््र्स काम्पलेक्स की हरियाणा नर्सरी में जैवलिन थ्रो की ट्रेङ्क्षनग के लिए चला गया। 2011 से 2015 तक उसने यहां पर रहकर जैवलिन थ्रो की बारीकियां सीखीं।
ऐसा रिकार्ड बनाया कि सबको पीछे छोड़ दिया
इस दौरान अंडर 18 जूनियर वल्र्ड यूथ में नेशनल रिकार्ड के साथ गोल्ड। इसके बाद अंडर 20 इंटर यूनिवर्सिटी वल्र्ड रिकार्ड भी गोल्ड मेडल के साथ बनाया। इन सब उपलब्धियों को देखते हुए भारतीय सेना ने नीरज को नायब सूबेदार के पद पर नियुक्ति दी। नीरज चोपड़ा ने 2016 में पोलैंड में आयोजित अंडर 19 में जूनियर वल्र्ड रिकार्ड 86.48 मीटर भाला फेंकते हुए गोल्ड मेडल के साथ नया रिकार्ड बनाया। जकार्ता में आयोजित एशियन गेम में नीरज ने 88.06 मीटर भाला फेंकते हुए फिर से नेशनल रिकार्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता।
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