बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए बाल विवाह की कुप्रथा बनी चुनौती, आंकड़े इसके गवाह Panipat News
10 वर्षों में नौ जिलों में 938 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। गरीबी बेटियों की सुरक्षा आटा-साटा कुप्रथा इसका सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया है।
पानीपत, [राज सिंह]। हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए बाल विवाह की कुप्रथा कलंक बनी हुई है। नौ जिलों से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक दस वर्षों में करीब 938 बाल विवाह रुकवाए। करीब 189 मामलों में कोर्ट से ऑर्डर कराए गए। सबसे बड़ी बात कि निर्धनता में जी रहे परिवारों को बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 की जानकारी तक नहीं है।
नौ जिलों में पानीपत तीसरे नंबर पर
जिला पानीपत, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, झज्जर, सिरसा, करनाल, फतेहाबाद, यमुनानगर, गुरुग्राम, पंचकूला के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2008 से 2018 तक 749 बाल विवाह काउंसिलिंग के जरिए रुकवाए गए। 189 केसों में बाल विवाह रुकवाने के लिए कोर्ट से ऑर्डर जारी कराने पड़े। 106 मामले ऐसे रहे, टीमों के पहुंचने से पहले बाल विवाह हो चुका था। संबंधित आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराया गया। नौ जिलों में दस वर्षों में सबसे अधिक 299 सिरसा में, 264 जिला फतेहाबाद में रुकवाए गए। पानीपत तीसरे नंबर पर रहा।
ये है बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006
बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत लड़की का विवाह 18 वर्ष, लड़के का विवाह 21 वर्ष से कम आयु में करना गैरकानूनी है। आरोपितों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। 18 वर्ष का युवक किसी नाबालिग लड़की से विवाह करता है तो सेक्शन-6 के तहत उस पर भी मुकदमा चलेगा।
बाल विवाह में शामिल होने वाले भी आरोपित
बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 की धारा 10 में माता-पिता को आरोपित बनाया जाता है। सेक्शन-11 में मंडप स्वामी, फोटोग्राफर, पंडित, हलवाई, रिश्तेदार, परिचित, सामूहिक विवाह कराने वाली संस्थाएं आदि को आरोपित बनाया जाता है।
बाल विवाह की शिकार लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अधिक होती हैं। विवाह उपरांत गृहस्थ जीवन के दबाव के कारण शारीरिक विकास रुक जाता है। तनाव बढ़ता है। गर्भपात, मृत प्रसव, शिशु मृत्यु दर का डर बना रहता है।
-डॉ. मनीष पासी
बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 सभी जाति-धर्मों के लिए समान रूप से लागू है। बाल विवाह न हो, इसके लिए बेटियों को उच्च शिक्षित बनाना जरूरी है। समाज अपने आसपास हो रहे बाल विवाह की सूचना दे।
-रजनी गुप्ता, जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी, पानीपत।