अनुसूचित जाति उत्पीडऩ के मामलों में हरियाणा में हर वर्ष दस फीसद बढ़ोतरी

हरियाणा में बढ़ रहे उत्पीडऩ के मामलों को लेकर हरियाणा की स्टेट लेवल विजिलेंस एंड मानीटरिंग कमेटी की बैठक में होगी चर्चा। तीन सालों में 3378 केस हुए प्रदेश में रजिस्टर्ड 30 लोगों को ऐसे मामलों में हुई सजा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 03:47 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 03:47 PM (IST)
अनुसूचित जाति उत्पीडऩ के मामलों में हरियाणा में हर वर्ष दस फीसद बढ़ोतरी
हरियाणा में अनुसूचित जाति उत्‍पीड़न केस बढ़ रहे।

अंबाला, [दीपक बहल]। प्रदेश में अनुसूचित जाति उत्पीडऩ के मामलों में लगातार तीन वर्ष से हर वर्ष दस फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। इसे लेकर राज्य सरकार चिंतित है। पिछले तीन सालों में 3378 मामले पुलिस थानों में दर्ज हुए हैं। इन मामलों में कैसे कमी आए इसके लिए शुक्रवार को स्टेट लेवल विजिलेंस एंड मानीटरिंग कमेटी (एसएलवीएमसी) की बैठक चंडीगढ़ में होने जा रही है। इस कमेटी के चेयरमैन प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। बैठक के एजेंडे में पड़ोसी राज्यों मे भी उत्पीडऩ के ऐसे मामलों का उल्लेख किया गया है।

इनमें उत्तर प्रदेश में 11829 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि राजस्थान में 55.06 फीसद की बढ़ोतरी दर्शायी गई है। उधर, अंबाला रेंज के आइजी रहे वाई पूर्ण कुमार ने प्रिंसिपल सेक्रेट्री हरियाणा सरकार वेलफेयर एससी एवं बीसी विभाग को चिठ्ठी लिखकर डीजीपी मनोज यादव के खिलाफ मामला दर्ज न होने की बात कही है। इस मीटिंग के एजेंडे में आइजी के पाइंट को शामिल किया जाए।

जानकारी के मुताबिक एसएलवीएमसी में अनुसूचित जाति के मामलों और मुआवजा राशि के लिए जारी किए गए बजट पर भी चर्चा होगी। वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति के 1028 एफआइआर दर्ज हुई थी, जिसमें से 12 की जांच चल रही है, जबकि 335 मामले झूठे पाए जाने पर रद कर दिए गए। सोलह मामले अनट्रेस कर दिए गए, जबकि 42 मामलों में से एससी/एसटी एक्ट हटा दिया गया। इसी तरह 621 मामले कोर्ट में पेश किए गए, जिनमें से 27 में सजा हुई और 426 अंडर ट्रायल हैं।

इसी प्रकार साल 2019 में 1129 में से 19 की जांच चल रही है, जबकि 380 मामले रद किए गए। पचास मामलों में से एससी/एसटी एक्ट हटा दिया गया। 669 का चालान कोर्ट में पेश किए गए, तीन को सजा हुई, जबकि 624 अंडर ट्रायल हैं। सन 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 1223 हो गया। इन में से 323 की जांच चल रही है, जबकि 420 मामले रद किए गए। 37 मामलों में से एससी/एसटी एक्ट हटा दिया गया और 431 मामले कोर्ट में पेश किए गए, जिनका ट्रायल चल रहा है।

फरवरी 2020 में हुई मीटिंग के बिंदु होंगे शामिल

फरवरी 2020 में एसएलवीएमसी की मीटिंग हुई थी, जिसमें तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई थी। इस में तय हुआ था कि डीजीपी हरियाणा ऐसे मामलों की लिस्ट देंगे, जिसमें बताया जाए कि ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के पीछे क्या कारण हैं। इसके अलावा प्रदेश में अपराध के आंकड़ों और अनुसूचित जाति उत्पीडऩ के मामलों की जानकारी देंगे। इसी तरह डीजीपी से इस तरह के मामलों का आंकड़ा भी मिला है, जिसमें साल 2018 व 2019 में दर्ज हुए मामलों का ब्योरा है। इसी तरह यह भी बताया गया था कि ऐसे मामलों में प्रारंभिक जांच की जरूरी नहीं है। ऐसे मामलों में केस दर्ज करने में देरी गलत है।

एजेंडे में अपने मुद्दे को शामिल करवाने में जुटे आइजी

आइजी वाई पूर्ण कुमार ने प्रिंसिपल सेक्रेट्री हरियाणा सरकार वेलफेयर एससी एवं बीसी विभाग को चिठ्ठी लिखकर शुक्रवार की बैठक में अपने मुद्दे पर भी चर्चा करने की गुहार लगाई है। उन्नीस मई को डीजीपी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए शिकायत दी थी, लेकिन मामला अभी तक दर्ज नहीं हुआ है। उन्होंने चिठ्ठी में लिखा कि डीजीपी के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए एसपी अंबाला को शिकायत दी थी। बावजूद इसके अभी तक एफआइआर दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने एफआइआर दर्ज न होना एससी/एसटी एक्ट 1989 के सेक्शन 3 व सेक्शन 18ए का उल्लंघन है।

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