International Yoga Day 2021: सोरायसिस से लड़ रहा था बीएसएफ जवान, योग और आयुर्वेद ने बचाया जीवन

सोरायसिस बीमारी से करनाल का रहने वाला बीएसएफ जवान पीडि़त था। योग और आयुर्वेद की वजह से उसकी जान बच गई। भारतीय चिकित्सा परिषद के मनोनीत सदस्य डा. विरमानी ने किया उपचार। विरेचन नित्य नियम योग प्राणायाम और संतुलित दिनचर्या से हुए स्वस्थ।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 04:58 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:04 PM (IST)
International Yoga Day 2021: सोरायसिस से लड़ रहा था बीएसएफ जवान, योग और आयुर्वेद ने बचाया जीवन
सीमा सुरक्षा बल के कमांडो दस्ते में तैनात प्रदीप कुमार।

करनाल, [पवन शर्मा]। सीमा सुरक्षा बल के कमांडो दस्ते में तैनात प्रदीप कुमार को सोरायसिस की बीमारी ने चपेट में ले लिया। नौकरी से लेकर जीवन तक संकट से घिर गया। ऐसे में भारतीय चिकित्सा परिषद के मनोनीत सदस्य डा. मनोज विरमानी ने योग और पंचकर्म चिकित्सा के बूते प्रदीप को रोग से मुक्ति दिलाई। सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, अनुलोम विलोम के साथ विरेचन व नित्य नियम के पालन से चमत्कारिक परिणाम सामने आए। संयमित दिनचर्या और खानपान सुनिश्चित किया। पूरे शरीर में फैल चुका सोरायसिस 21 दिन में 50 प्रतिशत ठीक हो गया और छह माह में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए।

योग दिवस के संदर्भ में इस अनुभव पर वार्ता में डा. विरमानी ने बताया कि सोरायसिस में त्वचा पर चकतेनुमा मोटी परत बन जाती है। खुजली के साथ दर्द व सूजन होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना इसका प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया कि योग से उनका गहरा नाता है। 1994 में उन्होंने केरल में अंतरराष्ट्रीय योग हीलिंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी वासुदेवन के सान्निध्य में योग और ध्यान पर गहन अध्ययन किया। अनेक रोगियों पर योग का प्रभाव भी देखा। इसके बाद करनाल आकर आयुर्वेद गुरु संस्थान की शुरुआत की। यहां सोरायसिस व अन्य गंभीर व्याधियों से त्रस्त रोगियों के उपचार में इससे कारगर मदद मिली।

डा. विरमानी ने बताया कि गांव नरूखेड़ी के प्रदीप कुमार कुछ समय पूर्व उनके पास आए। सीमा सुरक्षा बल के कमांडो दस्ते में तैनात प्रदीप का सोरायसिस बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका था। नौकरी ही नहीं, जीवन पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे थे। चुनौती बड़ी थी लेकिन उन्होंने धैर्यपूर्वक उपचार शुरू किया। आयुर्वेद पद्धति से पंचकर्म चिकित्सा में विशेषकर विरेचन व नित्य नियम का पालन कराते हुए उन्होंने प्रदीप को 21 दिन योग और प्राणायाम कराया। 13 बार सूर्य नमस्कार और 15 मिनट नियमित अनुलोम विलोम के अलावा उन्होंने प्रदीप को अपने संस्थान में दाखिल करके संयमित खानपान पर बारीकी से ध्यान दिया।

आखिरकार प्रदीप के पूरे शरीर में फैल चुकी सोरायसिस 21 दिन में 50 प्रतिशत ठीक हो गई। इसी के साथ प्रदीप ड्यूटी पर लौट गए। वहां भी छह माह तक वह हिदायतों का पालन करते रहे और रोग से मुक्ति पा ली। डा. विरमानी का दावा है कि योग और आयुर्वेद का प्रभाव चमत्कारिक है।

योग से पुराना नाता

बात 2005 की है। करनाल में ओम प्राणायाम एवं योग संस्था की नींव रखी गई, जो बाद में पतंजलि योग संस्थान बना। इसके संस्थापक उपाध्यक्ष डा. विरमानी ने करनाल और पूरे हरियाणा में योग का व्यापक प्रचार-प्रसार किया। माता श्रवण कौर वाणी व श्रवण विकलांग केंद्र में एक वर्ष तक बच्चों की कक्षा लगाई, जिसमें दो बच्चों की श्रवण शक्ति लौट आई। इससे प्रभावित योग गुरु स्वामी रामदेव ने उन्हें हरिद्वार बुलाकर सम्मानित किया। आयुर्वेद में एमडी डा. विरमानी कहते हैं कि योग स्वास्थ्य रक्षा और खुद से जुड़ने का साधन है। रोग से मुक्ति योग तपस्या का प्रसाद है। यह महज कसरत नहीं है बल्कि मोक्ष की राह को आसान बनाने का उपाय है।

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