भाई-बहन देते थे रोज ताने, इसलिए घर छोड़ आई थी किशोरी
सेक्टर-12 में 28 मार्च की रात्रि को एक घर के बाहर मिली लावारिस किशोरी गांव खेड़ा खेमावती सफीदों जिला जींद की निकली। वह पहले भी दो बार घर छोड़कर जा चुकी थी। घर में भाई-बहन उसे ताने देते थे। इस बात से तंग आकर उसने घर छोड़ दिया था।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सेक्टर-12 में 28 मार्च की रात्रि को एक घर के बाहर मिली लावारिस किशोरी गांव खेड़ा खेमावती, सफीदों जिला जींद की निकली। वह पहले भी दो बार घर छोड़कर जा चुकी थी। घर में भाई-बहन उसे ताने देते थे। इस बात से तंग आकर उसने घर छोड़ दिया था। घर न जाना पड़े, इसलिए पिता पर क्रूरता करने के झूठे आरोप भी लगाए थे। सोमवार को बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने किशोरी को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया है।
समिति चेयरपर्सन एडवोकेट पदमा रानी और सदस्य डा. मुकेश आर्य ने बताया कि किशोरी को उसके पिता से मिलवाने में जिला बाल संरक्षण अधिकारी निधि गुप्ता, मधुबन क्राइम ब्रांच के एएसआइ राजेश कुमार का अहम योगदान है। पिता के समक्ष किशोरी ने बताया कि मेरे भाई-बहन मुझे ताना देते थे कि तू दिल्ली में ही क्यों नहीं रह गई। रोजाना झगड़ा भी करते थे,तंग आकर घर छोड़ा था। वह दिल्ली जाना चाहती थी, लेकिन किराये को पैसे नहीं थे। बस के ड्राइवर ने पानीपत छोड़ दिया था।
चेयरपर्सन के मुताबिक उसके पिता को समझाया कि बच्ची को परेशान न करें। केस के फालोअप के लिए जींद की बाल कल्याण समिति को पत्र लिखा है। सदस्य एडवोकेट शिव सहाय, अशोक कुमार व मीना कुमारी भी मौजूद रहे। आधार कार्ड के लिए ले गए थे चंडीगढ़
किशोरी घर नहीं जाना चाहती थी, इसलिए वह बार-बार घर का पता गलत बताती रही। आधार कार्ड बना हुआ था, उसने यह जानकारी भी छिपाई। दस दिन पहले उसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआई) के चंडीगढ़ आफिस भी लेकर पहुंचे थे।