थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों की अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए रक्त नमूने लिए
गीता मंदिर रोड स्थित धर्मशाला में थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों का ब्लड सैंपल एकत्र करने के लिए शिविर का आयोजन हुआ। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट दिल्ली की टीम ने 65 रक्त नमूने लिए। इनमें बच्चे और अस्थि मज्जा दान करने वाले दानदाता शामिल रहे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : गीता मंदिर रोड स्थित धर्मशाला में थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों का ब्लड सैंपल एकत्र करने के लिए शिविर का आयोजन हुआ। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, दिल्ली की टीम ने 65 रक्त नमूने लिए। इनमें बच्चे और अस्थि मज्जा दान करने वाले दानदाता शामिल रहे।
शिविर का आयोजन पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी ने किया। संस्था प्रधान विक्रांत महाजन ने बताया कि थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से ही ठीक हो सकते हैं। इससे पहले उन्हें प्रत्येक माह रक्त बदलवाना पड़ता है। अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए मरीज और दानदाता के रक्त जांच की जाती है। 12 साल आयु तक के बच्चों की रक्त जांच निशुल्क है। इससे अधिक आयु के मरीज से 1800(रियायती दर) रुपये लिए जाते हैं। रक्त नमूने एकत्र करने वाली टीम में डा. निहारिका, डा. गरिमा, डा. रीमा शामिल रहीं।
बता दें कि पानीपत में थैलेसीमिया के करीब 95 मरीज हैं। शिविर में शिवाली, सिया, श्वेता, चंचल, सोनिया, गरिमा, दलजीत, पारस, कुणाल और साहिल का सराहनीय सहयोग रहा। थैलेसीमिया के लक्षण
- थकान, कमजोरी
- शिशु के नाखून-जीभ पीले पड़ना
- बच्चे के जबड़े-गाल का असामान्य होना
- अपनी उम्र से छोटा लगना
- चेहरा सूखा हुआ रहना
- वजन का न बढ़ना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- पीलिया होने का भ्रम होना यह है थैलेसीमिया
डा. निहारिका ने बताया कि थैलेसीमिया अनुवांशिक बीमारी है। हीमोग्लोबिन दो तरह के प्रोटीन,अल्फा ग्लोबिन व बीटा ग्लोबिन से बनता है। ग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में खराबी से लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। बार-बार रक्त चढ़ाने से मरीज के शरीर में जमा होने वाले लौह तत्व से हृदय, यकृत और फेफड़ों के लिए घातक हो जाता है। यही कारण है कि अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण को उपयुक्त है।