Black Fungus ALERT : हरियाणा में ब्लैक फंगस का कहर, 24 घंटे में करनाल में 12 और पानीपत में 3 की मौत
Black Fungus ALERT हरियाणा के करनाल और पानीपत में ब्लैक फंगस का कहर देखने को मिला। 24 घंटे में 12 संक्रमित मरीजों की जान चली गई। वहीं पानीपत में तीन लोगों की मौत हुई। करनाल में अब तक ब्लैक फंगस की वजह से 35 मरीजों की मौत हो चुकी है।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। हरियाणा में ब्लैक फंगस संक्रमण का कहर लगातार बढ़ रहा है। करनाल और पानीपत में ब्लैक फंगस की वजह से 24 घंटे में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। पानीपत में 3 और करनाल में 12 लोगों की जान गई।
कोरोना संक्रमण से मुक्ति की दिशा में भले ही करनाल लगातार अग्रसर हो लेकिन ब्लैक फंगस बेकाबू हो रहा है। यहां 24 घंटे की अवधि में रिकार्ड 12 लोगों की मौत हो गई। जिले में अब तक 35 मरीज इस रोग की चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की चिंता खासी बढ़ गई है। उनके अनुसार मृतकों की केस हिस्ट्री में कोरोना और डायबिटीज की बात सामने आई है। ऐसे में, इन समस्याओं से ग्रस्त लोग अपने स्वास्थ्य की नियमित मॉनटिरंग करते रहें।
बता दें कि जिले में अब तक ब्लैक फंगस के 129 केस मिल चुके हैं। जबकि 35 लोग इसकी चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं। करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कालेज में आसपास के जिलों से रैफर होकर आने वाले मरीजों का भी उपचार किया जा रहा है। इनमें करनाल के अलावा कैथल, कुरुक्षेत्र और आसपास के अन्य जिले शामिल हैं। बुधवार को ब्लैक फंगस के 12 नए मामले सामने आये हैं। इसके साथ ही 12 मरीजों की जान भी चली गई है। हालांकि इन मरीजों की जान 24 घंटे की अवधि में हुई है। वहीं मेडिकल कालेज में 44 मरीज अभी दाखिल हैं। 32 को रैफर किया जा चुका है जबकि 13 को छुट्टी दे दी गई। इसके अलावा पांच मरीज खुद ही डिस्चार्ज होकर घर चले गये।
लापरवाही बढ़ा रही खतरा
मेडिकल कालेज के निदेशक डा. जेसी दुरेजा ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण अमूमन रोगियों की ओर से खुद ही अपने स्वास्थ्य की नियमित देखभाल के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही है। दरअसल, इस रोग के ज्याातर मरीज या तो पहले ही डायबिटीज और इसी प्रकार की अन्य घातक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं अथवा कोविड की चपेट में आने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस होता है। ऐसी किसी भी स्थिति में अक्सर थोड़ा सुधार होते ही मरीज खुद को लेकर पूरी तरह बेपरवाह हो जाते है, जिसका परिणाम अक्सर ब्लैक फंगस का दायरा बढ़ने की शक्ल में सामने आता है। डबल विजन या दृष्टिबाधित होने की समस्या बढ़ जाती है। मृत्यु दर भी बढ़ रही है। इसलिए रोगियों और उनके तिमारदारों को सेल्फ मॉनिटरिंग पर ध्यान देना चाहिए।
ओपीडी से भी आ रहे रोगी
ब्लैक फंगस को लेकर चिंताजनक पहलू यह है कि ओपीडी से भी इसके रोगी मिल रहे हैं। डा. दुरेजा ने बताया कि मेडिकल कालेज में बीस बेड का अलग वार्ड है, जहां गंभीर रोगियों का इलाज होता है। जबकि आइसीयू में भी फिलहाल सौ से अधिक रोगी हैं। सर्जरी और पोस्ट सर्जरी का पूरा इंतजाम है।
पानीपत में 58 मरीज सामने आ चुके हैं
ना....ना करते आखिर स्वास्थ्य विभाग पानीपत के अधिकारियों ने ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस)के आंकड़े जारी कर ही दिए। जिला में अब तक 58 मरीज सामने आ चुके हैं। तीन की मौत हुई है, एक मरीज स्वस्थ हो गया है। 54 मरीजों का खानपुर मेडिकल कालेज सहित निजी अस्पतालों में उपचार चल रहा है।
डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग ने बताया कि पोस्ट कोविड व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। शुगर, रक्तचाप, मोटापा से ग्रस्त, कैंसर-एचआइवी के मरीज, अंग प्रत्यारोपण करा चुके लोगों को ब्लैक फंगस की अधिक संभावना है। खासकर, बीमारी के दौरान जिन्हें अधिक स्टेरायड दिया गया हो। अधिक दिन वेंटिलेटर पर रहने वालों में भी ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने की संभावना रहती है। ब्लैक फंगस नाक के जरिए गला, आंखों और जीभ के नीचे तक पहुंचता है। फंगस को यहीं कंट्राेल नहीं किया तो आंखों और दिमाग तक पहुंच जाता है। इससे ब्रेन डेड की पूरी संभावना है। जिला में यलो और सफेद फंगस का अभी तक एक भी मरीज सामने नहीं आया है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
-नाक और सिर में दर्द
-चेहरे के एक हिस्से में दर्द-सूजन
-चेहरा काला और सुन्न पड़ना
-पलकों में सूजन, दांत हिलना
-फेफड़ों पर वार तो श्वास लेने में दिक्कत
-कफ के साथ खून आना