Scam: पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में गड़बड़झाला, 10 साल बाद खुलने लगी परतें

पानीपत जालंधर सिक्‍सलेन प्रोजेक्‍ट में गड़बड़झाला सामने आया है। दस साल बाद भी लाइटें नहीं लगी हैं। टेंडर के मुताबिक सर्विस लेन पर लगानी थीं 4300 लाइटें। एनएचएआइ ने पोल लगाने का दूसरी कंपनी को दिया जिम्मा। सोमा कंपनी ने दस साल में छह हजार करोड़ रुपये टोल टैक्स वसूले।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 11:24 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 11:24 AM (IST)
Scam: पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में गड़बड़झाला, 10 साल बाद खुलने लगी परतें
अंबाला-दिल्ली हाईवे की सर्विस लेन, जिस पर लाइट नहीं हैं।

अंबाला, [दीपक बहल]। पानीपत -जालंधर सिक्स लेन प्रोजेक्ट में हरियाणा और पंजाब में तीन जगहों पर टोल लगाकर सोमा कंपनी पिछले 10 वर्षों में करीब छह हजार करोड़ रुपये के टैक्स वसूले, लेकिन सर्विस लेन पर एक भी लाइट नहीं लगाई गई। दस वर्षों तक इस सर्विस लेन पर अंधेरा पसरा रहा। सन 2009 में किए गए टेंडर में भी सर्विस लेन पर लाइट लगाने का शर्त है, लेकिन इसका उल्लंघन किया गया। सोमा आइसोलक्स और नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) के बीच उभरे विवाद के बाद अब गड़बड़झाले की परतें खुलने लगी हैं।

एनएचएआइ ने इसी वर्ष मार्च में सोमा कंपनी का टेंडर रद कर अब खुद जिम्मेदारी संभाल ली है। एनएचएआइ ने अब पानीपत और जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में करीब 4300 लाइटें लगाने के लिए टेंडर किसी दूसरी कंपनी को अलाट किया है, जिसकी कीमत करीब 42 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट में और क्या-क्या खामियां हैं, इसकी भी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। इस हाईवे पर अब दोनों ओर पोल खड़े करने के लिए बेस तैयार किए जा रहे हैं, जिसके बाद लाइटें लगाई जाएंगी। उधर, इस संबंध में सोमा आइसोलक्स के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई।

इस तरह शुरू हुआ था प्रोजेक्ट

पानीपत-जालंधर सिक्स लेन प्रोजेक्ट का इकरारनामा वर्ष 2008 में हुआ था। मई 2009 में टोल लगा दिए गए थे। इनमें से दो टोल हरियाणा में और एक पंजाब में लगा है। करनाल, अंबाला और लुधियाना तीनों टोल सोमा कंपनी के जिम्मे थे। यह प्रोजेक्ट साल 2011 में पूरा होना था, लेकिन किसी कारणवश इसकी समयावधि बढ़ा दी गई। एनएचएआइ और सोमा के बीच विवाद शुरू हो गया, जिसके चलते मार्च 2021 में टेंडर को रद कर दिया गया। एनएचएआइ के इस फैसले को गलत बताते हुए सोमा कंपनी ट्रिब्यूनल चली गई।

रोजाना पौने दो करोड़ की होती थी आमदनी

तीनों टोल से रोजाना करीब पौने दो करोड़ रुपये की आमदनी होती थी। फिलहाल तीनों टोल बंद हैं। एनएचएआइ के अधिकारियों की मानें तो सालाना करीब छह सौ करोड़ रुपये की कमाई होती थी।

पोल लगवाए जा रहे हैं : आरओ

एनएचएआइ के रीजनल आफिसर (आरओ) राकेश ङ्क्षसह ने कहा कि टेंडर में सर्विस लेन में लाइटें लगाने की शर्त थी, लेकिन सोमा आइसोलक्स की ओर से लाइटें नहीं लगाई गईं। अब करीब 4300 लाइटें लगवाने के लिए टेंडर दिया गया है, जिस पर काम शुरू हो गया है।

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