32 साल पहले भी नहीं जला था जनसुई गांव में चूल्‍हा, श्रीलंका में लिट्टे के हमले में शहीद हुए थे भरपूर सिंह

32 साल पहले श्रीलंका में लिट्टे के हमले में जनसूई गांव का भरपूर सिंह शहीद हुआ था। शहीद भरपूर सिंह का शव भी वारिसों को नहीं मिल पाया था। सिर्फ एक बूट और पानी की बोतल ही मिली। उस दौरान 18 सैनिक शहीद हुए थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 05:58 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 05:58 PM (IST)
32 साल पहले भी नहीं जला था जनसुई गांव में चूल्‍हा, श्रीलंका में लिट्टे के हमले में शहीद हुए थे भरपूर सिंह
श्रीलंका में शहीद हुए सैनिक भरपूर सिंह की शहादत के बारे में बताते उनके भाई जतिंदर सिंह।

पानीपत/अंबाला, [कुलदीप चहल]। साल 1988 में श्रीलंका में शांति सेना में तैनात गांव जनसूई का ही भरपूर सिंह शहीद हो गया था। वह गांव का पहला शहीद था। उसका शव तक वारिसों को बरामद  नहीं हुआ, जबकि बूट और सेना द्वारा दी गई पानी की बोतल से ही पहचान हो पाई थी कि वह शहीद हो चुका है। मात्र पांच साल की सर्विस के बाद ही भरपूर सिंह शहीद हो गया। शुक्रवार को शहीद निर्मल सिंह का शव जब गांव पहुंचा, तो भरपूर सिंह के परिवार की आंखों के सामने उस समय का मंजर एक बार फिर दौड़ गया। 

शहीद भरपूर सिंह के भाई रिटायर्ड हवलदार जतिंदर सिंह ने बताया कि साल 1988 में श्रीलंका में शांति सेना की तैनात के दौरान भरपूर सिंह को भी भेजा गया था। वह सेना में स्टोर कीपर के पद पर था और महज पांच साल की सर्विस ही हुई थी।

इसी दौरान एक टुकड़ी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए श्रीलंका में ही डटी थी। इस टुकड़ी को पानी पहुंचाने के लिए भरपूर सिंह अपने साथियों के साथ जंगल में जा रहा था। वायरलेस पर ही वह अपने साथियों के साथ संपर्क थे। लिट्टे ने यह मैसेज इंटरसेप्ट कर लिया। भरपूर सिह के साथियों ने लोकेशन पूछी तो बताया कि सीधे ही चलते रहें।

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भरपूर सिंह और उसके साथियों को यह आभास ही नहीं हो पाया कि वे लिट्टे के जाल में फंस गए हैं। जैसे ही वे लिब्रेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम (लिट्टे) सदस्यों की फायरिंग रेंज में पहुंचे, तो शांति सैनिकों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। जतिंदर का कहना है कि इस हमले में करीब 18 सैनिक मारे गए थे, जबकि शव तक नहीं मिल पाया था। पाकिस्तान के स्नाइपर फायर में शहीद हुए निर्मल सिंह का शव शुक्रवार को गांव पहुंचा तो सारा गांव गमगीन था। इस दौरान जतिंदर सिंह भी अपने भाई की शहादत को याद कर उनकी आंखें नम हो गईं। 

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