बारिश में संभलकर, बिगड़ सकती है सेहत, कोरोना संक्रमण का भी खतरा
बारिश से जरा संभलकर रहने की जरूरत है। इस बार कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का भी खतरा मंडरा है। बरसात में होने वाली बीमारियों से भी सतर्क रहने की जरूरत। दूषित खानपान की वजह से सर्दी जुकाम खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी।
अंबाला, जागरण संवाददाता। कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के साथ ही बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों से सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। वरिष्ठ आयुष चिकित्सक डा. जितेंद्र वर्मा ने बताया कि इस वक्त अस्पतालों में मौसम के मारे मरीजों की लाइन लगी रहती है। प्रतिदिन 600 से एक हजार मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। इसमें ज्यादातर मरीज वायरल बुखार की चपेट में है। सर्दी, जुकाम, खांसी के मरीजों की भी अच्छी खासी संख्या है। दूषित खान पान की वजह से लोग उल्टी दस्त के भी शिकार हो रहे है। अगर जरा सी सावधानी बरती जाए तो अस्पतालों के चक्कर लगने से बचाया जा सकता है।
डा. वर्मा ने कहा कि बारिश के मौसम ने बीमारियों को आमंत्रित करना शुरू कर दिया है। जलजमाव की वजह से होने वाली बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हैं। इस मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जल जमाव कीचड़ व गंदगी से पैदा होने वाले मच्छर और बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं। इसके अलावा मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं, जो पानी और खाद्य पदार्थों को दूषित कर शरीर की बीमारियों का कारण बनते है।
डा. वर्मा का कहना है कि बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा वायरल बुखार फैलता है। इससे बचने के लिए सादा खाना खाए पानी उबालकर पिएं और बाहरी चीजों से पूरी तरह से परहेज करें। कूलर का प्रयोग बगैर पानी के करें। पानी के साथ अगर कूलर चलाएंगे तो बीमारी होने को कोई नहीं रोक पाएगा। वायरल बुखार के लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
उन्होंने बताया कि इस मौसम में डायरिया सबसे आम समस्या है जो बैक्टीरिया के कारण होता है। इसमें पेट में मरोड़ होने के साथ ही दस्त आते हैं। हैजा रोग भी दूषित भोज्य व पेय पदार्थ के कारण होता है। पेट में ऐंठन के साथ लगातार होने वाली उल्टी दस्त रोग के प्रमुख लक्षण है। इसके कारण शरीर में पानी की कमी होना और मिनरल्स की कमी हो जाती है और मरीज बेहद कमजोर हो जाता है।