बच्‍चों का रखें विशेष ख्‍याल, वायरल बुखार की जद में आ रहे मासूम, जानिए बचाव के तरीके

कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच वायरल का खतरा बढ़ रहा है। वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। अंबाला अस्पताल में मरीज पहुंच रहे। बाल रोग विशेषज्ञ खून की जांच के साथ प्लेटलेट्स चेक कराने की दे रहे सलाह।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 08:59 AM (IST) Updated:Thu, 02 Sep 2021 08:59 AM (IST)
बच्‍चों का रखें विशेष ख्‍याल, वायरल बुखार की जद में आ रहे मासूम, जानिए बचाव के तरीके
वायरल बुखार का खतरा बढ़ रहा है।

अंबाला, जागरण संवाददाता। मौसम बदलने के साथ बच्चों में वायरल का खतरा बढ़ने लगा है। अस्पताल के बाल रोग विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे बच्चों को तेज बुखार के साथ ठंड की शिकायत है। लगातार दवा करने के बाद भी कभी कभी बच्चों का बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में फैली रहस्यमयी बुखार की दस्तक अंबाला में न हो इसके लिए सरकारी अस्पतालों के बाल रोग विशेषज्ञ दवा देने के बाद भी बीमारी में सुधार न होने पर खून की जांच कराने की सलाह दे रहे हैं।

बुखार का कारण वायरल फीवर बताया जा रहा है, इसका पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सैंपल्स काे पुणे एनआईवी भेजाने की योजना पर काम कर रहा है। नागरिक अस्पताल छावनी के बाल रोग विशेषज्ञ डा. वनीत आनंद ने बताया कि सामान्य वायरल 5 दिनों में सही हो जाता है लेकिन यह 5 से 10 दिन के बाद कम होना शुरू हो रहा है। इसलिए रिकवरी का समय ज्यादा लगने के कारण भर्ती रखना पड़ रहा है। अस्पतालों में मरीज आने लगे हैं। इस वायरल बीमारी में लोगों की डीहाइड्रेशन की शिकायतें सामने आ रही है। ऐसे बच्चों की प्लेटलेट्स जांच कराने की सलाह दी जा रही है।

बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे अभिभावक

कोरोना काल में बच्चों पर डबल खतरा मंडरा रहा है। कोरोना के डर के बीच बुखार ने लोगों की फिक्र बढ़ा दी है। बच्चों के माता-पिता के डर को स्कूलों ने और बढ़ा दिया है। कई राज्यों में बड़ी कक्षाओं के स्कूल खुल चुके हैं और अब तो छोटी कक्षाओं के स्कूल भी खुलने वाले हैं। अभिभावक भी इस दुविधा में हैं कि बच्चों को स्कूल भेजे या नहीं। पिछले दिनों जिस तरह देश के बाकी हिस्सों में स्कूल खुलने के बाद बच्चों के जो संक्रमित होने के मामले आए, उसके बाद अब ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं।

देश के कई राज्यों में खुले स्कूल

देश के कई राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं और बाकी राज्यों में भी धीरे-धीरे खुल रहे हैं लेकिन, सवाल ये है कि बच्चों को वैक्सीनेशन से पहले स्कूल भेजना जल्दबाजी तो नहीं है ? सितंबर और अक्टूबर में बच्चों के लिए कोवैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है। 12 साल से ऊपर के लोगों के लिए बनी जायकोव-डी की सप्लाई भी शुरू हो जाएगी। इसलिए सवाल उठ रहा है कि जब इतना बर्दाश्त किया, तो क्या कुछ महीने और नहीं रुका जा सकता है।

chat bot
आपका साथी