Rice Scam: चावल घोटाला से जल्द उठेगा पर्दा, खुलेगी हैफेड में बैक एंट्री की पोल
चावल घोटाले मामले में अब बैक एंट्री करने वालों का पर्दाफाश होगा। कामर्शियल विभाग ने सीनियर गुड्स क्लर्क की जिम्मेदारी की थी फिक्स। एफसीआइ ने 16 अगस्त और 1 सितंबर के स्टाक का लेखा-जोखा मुख्यालय को भेजा था। मामला उजागर होने के बाद 5 अगस्त की बैक एंट्री कर दी।
अंबाला, [दीपक बहल]। चावल घोटाले को लेकर की दैनिक जागरण की पड़ताल में हकीकत सामने आने के बाद रेलवे कामर्शियल विभाग ने सीनियर गुड्स क्लर्क की जिम्मेदारी फिक्स कर दी है, वहीं रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), फूड कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) और इंटरनल विजिलेंस ग्रुप (आइवीजी) की जांच रिपोर्ट अभी फाइनल नहीं हुई है। एफसीआइ की जांच को प्रभावित करने के लिए 15 अगस्त की शाम 4 बजकर 58 मिनट के करीब हैफेड के मानकपुर स्थित गोदाम में बैक एंट्री की गई। इसमें दावा किया गया कि धूलकोट रेलवे स्टेशन पर चावल की बोरियों को जमा करा दिया गया है, जबकि एफसीआइ की हर महीने की 1 और 16 तारीख को मुख्यालय को स्टेटमेंट भेजी जाती है कि कितना स्टाक बचा है और कितना माल रेलगाडिय़ों के माध्यम से उठाया गया है। अब 16 अगस्त और 1 सितंबर को भेजी गई रिपोर्ट ही बैक एंट्री का पर्दाफाश करेगी।
दूसरी ओर जिस चालक ने ट्रक लाकर बोरियां जमा कराने की बात कही है, उसके मोबाइल की लोकेशन भी इस खेल से पर्दा उठा सकती है। हालांकि एफसीआइ की हाई लेवल जांच कमेटी मामले की जांच कर रही है। कमेटी ने नसीरपुर, मानकपुर, मंडोर स्थित हैफेड गोदामों से रिकार्ड कब्जे में लिया है और स्टाक को भी चेक किया। इसके अलावा जिस कारोबारी की 28 हजार बोरियां छत्तीसगढ़ से अंबाला शहर के धूलकोट रेलवे स्टेशन आई थी, उसके बयान भी रिकार्ड किए हैं।
1890 रुपये की वारफेज पर्ची बनी सिरदर्द
छत्तीसगढ़ के अकलतारा से 14 अगस्त 2021 को आया प्राइवेट फर्म का 28 हजार बोरियों का रैक धूलकोट रेलवे स्टेशन पर लगा था। शाम करीब 6 बजे तक प्राइवेट फर्म की सभी बोरियों का उठान स्टेशन से हुआ। ट्रक में बोरियां लोड करने में पांच घंटे की देरी हो जाती है, जिसका डैमरेज भी प्राइवेट फर्म से चार्ज कर लिया गया। इसी स्टेशन से रात को एफसीआइ के चावलों की बोरियां आजमगढ़ के लिए रवाना की गईं। करीब 50 बोरियां चोरी कर स्टेशन पर ही ठिकाने लगा दी जाती हैं। आरपीएफ को बोरियां मिलती हैं, लेकिन चोरी का मुकदमा दर्ज करने की जगह मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। यह मामला सिरदर्द न बन जाए, इसलिए सरकारी बोरियों को कागजों में प्राइवेट फर्म की दर्शा दी गई। रिकार्ड मजबूत करने के लिए प्राइवेट कारोबारी की 1890 रुपये की वारफेज पर्ची भी काटी गई ताकि जांच होने पर साबित हो जाए कि ये बोरियां एफसीआइ की नहीं बल्कि प्राइवेट कारोबारी की थीं। इसी बीच सितंबर में एफसीआइ की चोरी हुई बोरियों की वीडियो वायरल हुई तो इन बोरियों को मानकपुर स्थित हैफेड के गोदाम में जमा कराने की एक और कहानी गढ़ी गई।