देश के पहले आयुष विश्वविद्यालय मिलेगी एक नई पहचान, योग डिपार्टमेंट बनाने की तैयारी
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय देश का पहला आयुष विश्वविद्यालय है। अब ये विश्वविद्यालय एक अलग नई पहचान बनाने जा रहा है। यहां पर योग डिपोर्टमेंट अलग से बनाए जाने की तैयारी है। योग पर अध्ययन अध्यापन के साथ रिसर्च भी होगी।
पानीपत/कुरुक्षेत्र,[विनीश गौड़]। वर्ष 2015 में योग की जिस शक्ति के आगे पूरा विश्व नतमस्तक हुआ उसे देश का पहला आयुष विश्वविद्यालय एक नई पहचान देने जा रहा है। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय अलग से योग का विभाग बनाने जा रहा है। इस विभाग में न केवल विद्यार्थियों को योग का डिप्लोमा कराया जाएगा, बल्कि योग की ओपीडी भी शुरू की जाएगी, जिसमें मरीजों को सिर्फ योगासनों का अभ्यास कराकर ठीक किया जाएगा। विवि यहीं पर रुकने वाला नहीं है। इस योग विभाग में योगासनों पर रिसर्च भी होगी, यानी कौन सी बीमारी में किस योगासन से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं विश्वविद्यालय पीजीआइ और योग काउंसिल हरियाणा के साथ मिलकर इस पर रिसर्च भी करेगा। विवि प्रशासन ने इसका खाका तैयार कर लिया है। अब बस ईसी की बैठक में इस पर सिर्फ औपचारिक मुहर लगनी बाकी है।
बाहरवीं से लेकर बीएएमएस, बीएचएमएस, एमबीबीएस तक के लिए होगा कोर्स
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय ने पीजी डिपार्टमैंट इन योगा में एक माह से लेकर एक साल तक के तीन कोर्स शामिल किए हैं। पहला कोर्स एक माह का होगा, जिसे फाउंडेशन कोर्स नाम दिया गया है, दूसरा कोर्स तीन माह का होगा जिसे सर्टिफिकेट कोर्स इन प्राणायाम एंड मेडिटेशन का नाम दिया गया है। इसके बाद एक कोर्स एक साल का रखा गया है, जिसे पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन योगा थैरेपी नाम दिया गया है। इसमें बीएएमएस, बीएचएमएस और एमबीबीएस के चिकित्सक कोर्स कर सकेंगे। इसका फायदा उन्हें सरकारी नौकरी में भी मिल सकता है। इसके अलावा बाहरवीं पास विद्यार्थियों के लिए भी एक साल का कोर्स होगा। जबकि दो साल की पीजी और तीन साल की एमडी भी शुरू की जाएगी। विवि प्रशासन ने इस कोर्स के सिलेबस को डिजाइन करते हुए एमएचआरडी के सिलेबस से मदद ली है।
योग काउंसिल हरियाणा व पीजीआइ के साथ मिलकर आयुष विवि करेगी काम : डा. बलदेव
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बलदेव धीमान ने बताया कि योग काउंसिल हरियाणा और पीजीआइ के साथ मिलकर आयुष विश्वविद्यालय योग का अलग से विभाग तैयार करने जा रहा है, जिसमें अध्ययन, अध्यापन और रिसर्च पर काम किया जाएगा। योग अपने आप में एक संपूर्ण उपचार पद्धति है। फिलहाल आम लोगों के योग के छोटे कोर्स लाने के साथ-साथ एक साल व दो साल की पीजी और तीन साल की एमडी भी शुरू की जाएगी।
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