आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि, कोरोना काल में दुनिया ने माना जड़ी-बूटियों का महत्व

आज धनतेरस का पर्व है। समुद्र-मंथन के समय अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इन्हें आयुर्वेद के प्रणेता वैद्यक शास्त्र का देवता भी कहा जाता है। उन्हीं की स्मृति में धनतेरस पर्व मनाया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Nov 2021 06:16 PM (IST) Updated:Mon, 01 Nov 2021 06:16 PM (IST)
आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि, कोरोना काल में दुनिया ने माना जड़ी-बूटियों का महत्व
आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि, कोरोना काल में दुनिया ने माना जड़ी-बूटियों का महत्व

जागरण संवाददाता, पानीपत : आज धनतेरस का पर्व है। समुद्र-मंथन के समय अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इन्हें आयुर्वेद के प्रणेता, वैद्यक शास्त्र का देवता भी कहा जाता है। उन्हीं की स्मृति में धनतेरस पर्व मनाया जाता है। मौजूदा समय की तुलना दस वर्ष पहले से करें तो समाज ने आयुर्वेद को इलाज के साथ स्वस्थ रहने के मूलमंत्र के रूप में स्वीकार किया है।

कोरोना महामारी में एलोपैथी ने कोविड-19 पाजिटिवों को जीवनदान दिया तो आयुर्वेद ने बूस्टर डोज से मरीजों की इम्युनिटी को मजबूती दी। इम्युनिटी के दम पर मरीज जल्द रिकवर भी हुए। आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डा. संजय राजपाल ने जागरण को बताया, मैं 20 वर्ष से सरकारी अस्पताल में चिकित्सक हूं। उस समय जिला के आयुष अस्पतालों की ओपीडी लगभग 6000 प्रति माह रहती थी। वर्तमान की बात करें तो 14 हजार के पार चली जाती है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों को इम्युनिटी का महत्व समझ में आया। एलोपैथी पद्धति से इलाज करने वाले चिकित्सकों ने भी मरीजों को च्यवनप्राश सेवन की सलाह दी। आयुष विभाग की टीमों ने भी कोरोना की पहली लहर में करीब 40 हजार, दूसरी लहर में लगभग 70 हजार बूस्टर डोज (गुडुची घन वटी, सम्शमनी वटी और अणु तेल) जिलावासियों को बांटी।

होम आइसोलेशन में रहे मरीजों को भी बूस्टर पहुंचाई तो समाज में आयुर्वेद के प्रति विश्वास बहुत मजबूत हुआ है। एलोपैथी त्वरित आराम के लिए है, इसका प्रतिकूल असर भी है। आयुर्वेद रोग को जड़ से समाप्त करता है। खूब बिकते हैं ये उत्पाद

च्यवनप्राश, अश्वगंधा, गिलोय का रस, तुलसी अर्क, आंवला रस, लौंग का तेल, एलोविरा, पुदीना रस, ग्रीन-टी, शिलाजीत, अश्वगंधा चूर्ण, ग्रीन-काफी जैसे तमाम उत्पाद-चूर्ण खूब बिकते हैं। घरों में भी आमतौर मिल जाएंगे। वेदों में आयुर्वेद का जिक्र

आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डा. सुदेश पाल ने बताया कि आयुर्वेद, संस्कृत के दो शब्द आयुर व वेद से बना है। आयुर का अर्थ जीवन, वेद का अर्थ ज्ञान है। अर्थवेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद में तमाम जड़ी-बूटियों का उल्लेख है। सामवेद में आयुर्वेद से संबंधित मंत्र हैं।

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