Ayurveda For Poshan थीम की शुरुआत, अब मिड डे मिल में आयुर्वेद उपहार से मिलेगी संजीवनी
आयुष विभाग की आओ से आयुर्वेदा फार पोषण की विशेष थीम तैयार की गई जिसके तहत दो नवंबर को धन तेरस से जनहित में सार्थक शुरुआत की जा रही है। शहर में इस दिन निशुल्क आयुष चिकित्सा शिविर भी लगाया जा रहा है।
करनाल, जागरण संवाददाता। धन तेरस पर सोना-चांदी और बर्तन आदि खरीदने की परंपरा है लेकिन त्योहार बताता है कि असली धन स्वास्थ्य है। ऐसे में आयुर्वेद से स्वास्थ्य को बेहतर रखने का संदेश देने के लिए आयुष विभाग ने भी महत्वपूर्ण पहल की है। इसके तहत मिड डे मील कार्यकर्ताओं को बच्चों के दोपहर के भोजन में आयुर्वेद आहार शामिल करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।ताकि बच्चों को आरोग्यता रूपी संजीवनी मिल सके। धन तेरस को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाते हुए दो नवंबर को आयुर्वेद फार पोषण थीम के साथ यह अनूठी शुरुआत की जाएगी।
आयुर्वेद के महत्व से करवाया जाएगा अवगत
आयुर्वेद के महत्व से अवगत कराने के साथ जनमानस को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आयुष विभाग इस परिकल्पना को अंजाम देने जा रहा है। इसके लिए पंचकूला स्थित आयुष निदेशालय की ओर से राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत दो नवंबर को धन तेरस तथा भगवान धनवंतरी जयंती के अवसर पर आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. सतपाल ने बताया कि वेदों और पुराणों के अनुसार मान्यता है कि धन तेरस के दिन देवताओं तथा दैत्यों के समुद्र मंथन के माध्यम से भगवान धनवंतरी का औषधियों व अमृत कलश सहित अविर्भाव हुआ था।
इसी से प्रेरणा लेकर आयुष विभाग की आओ से आयुर्वेदा फार पोषण की विशेष थीम तैयार की गई, जिसके तहत दो नवंबर को धन तेरस से जनहित में सार्थक शुरुआत की जा रही है। शहर में इस दिन सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक की अवधि में निशुल्क आयुष चिकित्सा शिविर भी लगाया जा रहा है।
मिड डे मील कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा विशेष प्रशिक्षण
डा. सतपाल ने बताया कि इसी दिन आयुर्वेद फार पोषण थीम के तहत बीस मिड डे मील कार्यकर्ताओं को विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें स्कूली बच्चों को दोपहर के समय दिए जाने वाले भोजन में आयुर्वेद आहार शामिल करने की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। आयुर्वेद से पोषित इस आहार से बच्चों के स्वास्थ्य रक्षण और सेहत सुधारने में कारगर मदद मिल सकेगी। बच्चों को बाहर जंक या फास्ट फूड खाने के बजाए परंपरागत रूप से घर में आयुर्वेदिक पौष्टिक आहार बनवाकर खाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
इसके अलावा बीस आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को छोटे बच्चों की माताओं और गर्भवती महिलाओं को बच्चों में कुपोषण से होने वाली बीमारियों के प्रति भी जागरुक किया जाएगा ताकि ये महिलाएं घर के राशन में आयुर्वेदिक सामग्री का अधिकतम प्रयोग करके कुपोषण की जंग से लड़ने में अहम भूमिका निभा सकें।