लकवा और स्पाइन से बचना है तो ये खबर पढ़ें, जानिये बीमारी की वजह और क्‍या करना चाहिए

लकवा के मरीज को पहले चार घंटों में मिले इलाज। बदलती जीवनशैली के कारण बीमारियां घेर रही हैं। लोगों ने हेलो जागरण कार्यक्रम के माध्‍यम से न्‍यूरो सर्जन डा.नरेंद्र अहलावत से सवाल पूछे। आप भी पढि़ए ये विशेष खबर।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 04:36 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 04:36 PM (IST)
लकवा और स्पाइन से बचना है तो ये खबर पढ़ें, जानिये बीमारी की वजह और क्‍या करना चाहिए
लकवा यानि ब्रेन स्ट्रोक से बचाव जरूरी है।

पानीपत, जागरण संवाददाता। लकवा यानि ब्रेन स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान मुश्किल है। यह एकाएक होता है, मरीज को पहले चार घंटे में पर्याप्त इलाज मिल जाए तो उसके अंग भंग होने का खतरा बहुत कम है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव और मोटापा के शिकार लोगों को लकवा की आशंका अधिक रहती है। स्पाइन (रीढ़ की हड़्डी) संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण भी खराब खानपान और जीवनशैली है। सेक्टर 29 पार्ट-टू, प्लाट नंबर-10 स्थित दैनिक जागरण कार्यक्रम में लकवा व स्पाइन विषय पर संपन्न हेलो जागरण में न्यूरो सर्जन डा.नरेंद्र अहलावत ने सुधी पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए यह जानकारी दी। प्रस्तुत है सवाल-जवाब।

प्रश्न : अंसल सोसाइटी वासी राजीव ने बताया कि कुछ माह पहले सर्वाइकल हुआ था। व्यायाम से ठीक भी हो गया। अब कमर में दर्द-जकड़न रहती है।

उत्तर : गर्दन को नीचे की ओर ज्यादा न झुकाएं। सोते समय अधिक मोटा तकिया न लगाएं। मोबाइल फोन इस्तेमाल करते समय भी गर्दन सीधी रखें।

प्रश्न : गांव देहरा वासी कुलदीप ने बताया कि जनवरी में पत्नी को लकवा हो गया था। ठीक भी हो गई, अब पैरों में कंपन होता है।

उत्तर : पूरी शरीर का चेकअप कराएं। खाली पेट शुगर चेक कराएं। रक्तचाप कंट्रोल में रखें। ब्लड और हार्ट की जांच अवश्य कराएं।

प्रश्न : देवी मंदिर के पास के निवासी आनंद प्रकाश से बताया कि थायराइड की दिक्कत है। मालवाहक वाहन चलाता हूं, वजन 70 किलोग्राम है।

उत्तर : इसके लिए आपको एमडी फिजिशियन से परामर्श लेना चाहिए। देर न करें, दिक्कत बढ़ जाएगी।

प्रश्न : विकास नगर वासी मुकेश ने बताया कि मेरी आयु 40 साल है। कुछ दिनों सीधे साइड के कंधे में दर्द रहता है।

उत्तर : शुगर को नियंत्रण में रखें। सोते समय मोटा या डबल तकिया बिलकुल न लगाएं।

प्रश्न : गांव कैथ वासी राजेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2015 में लकवा हो गया था। अब घुटनों में दर्द रहता है।

उत्तर : यूरिक एसिड जांच कराएं। चारपाई या फोल्डिंग पलंग की जगह बेड पर सोएं। बिस्तर ज्यादा मुलायम न हो। टमाटर व नींबू से परहेज करें।

प्रश्न : माडल टाउन वासी रमेश कहा कि मेरी आयु 40 साल है। इलेक्ट्रिशियन हूं, कुछ दिनों से पीठ में दर्द रहता है।

उत्तर : दूध, दही, पनीर का सेवन करें। अधिक समय तक चौकड़ी (पालथी) मारकर न बैठें। धूप का आनंद लें या विटामिन डी के पाउडर का पाउच आता है, सप्ताह में एक दिन पिएं।

प्रश्न : सेक्टर-25 वासी लक्ष्मी ने बताया कि मेरी आयु 50 साल है। कंधे में दर्द रहता है, सर्वाइकल की दिक्कत है। अब घुटनों में भी दर्द रहने लगा है।

उत्तर : गर्दन झुकाकर काम न करें। फोन इस्तेमाल करते समय भी गर्दन सीधी रखें। विशेषज्ञ से एक्सरसाइज संबंधी परामर्श लें।

प्रश्न : सेक्टर-12 निवासी कमल ने बताया कि सीटिंग जाब है। कुछ दिनों से कभी-कभी कंधे में झनझनाहट होने लगती है।

उत्तर : दूध, दही, पनीर का सेवन करें। विटामिन डी पाउडर का पाउच सप्ताह में एक दिन पिएं। विशेषज्ञ के परामर्श अनुसार व्यायाम जरूर करें।

प्रश्न : तहसील कैंप निवासी भरत ने बताया कि मेरी आयु 40 साल है। चार साल से शुगर है, 300 से अधिक रहती है। पैरों से लेकर जांघ तक दर्द रहता है।

उत्तर : आपको शुगर कंट्रोल करनी पड़ेगी। मेडिसिन असर नहीं कर रही है तो अपने चिकित्सक से बात करें। यही स्थिति रही तो आपकी किडनी, हार्ट और ब्रेन डैमेज होने का भी खतरा है।

प्रश्न : शिव नगर निवासी ईश्वरचंद ने बताया कि मेरे बेटे की आयु 38 साल है। उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, क्या करूं।

उत्तर : बेटे की रिपोर्ट लेकर मिलें। उसी के आधार पर परामर्श देना उचित रहेगा।

प्रश्न : सेक्टर-6 वासी नीतू ने बताया कि सिर, आंखों और गर्दन में दर्द रहता है। धूप में जाने को मन नहीं करता।

उत्तर : ये माइग्रेन के लक्षण हैं। मसालेदार व्यंजनों से परहेज करें। पनीर और चाय का सेवन न करें।

चिकित्सक ने यह भी बताया 

40 वर्ष की आयु होते ही लोगों को खान-पान में परहेज शुरू कर देना चाहिए। मसालेदार, तले हुए भोजन से बचें। पत्तीदार हरी सब्जियां तथा फल व सलाद का सेवन करें। शुगर का लेबल 140 के नीचे और बीपी का लेबल 140-90 के बीच रखें। शुगर व बीपी के मरीजों को ब्रेन और हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है।

लाकडाउन काल में बढ़े मरीज 

डा. अहलावत ने बताया कि लाकडाउन में लकवा के मरीज बढ़े। इसका बड़ा कारण तनाव, अधिकांश समय आराम करते हुए बिताना, खराब खानपान रहा। स्पाइन संबंधी समस्याओं का कारण भी खराब जीवनशैली रहा। व्यायाम भी अधिकांश लोगों ने छोड़ दिया था। आनलाइन पढ़ाई के कारण किशोर अवस्था वाले मरीज भी ओपीडी में पहुंचे।

लकवा की गंभीर स्थिति

-शरीर के किसी एक हिस्से में सुन्नपन।

-अचानक यादाश्त में कमजोरी आना।

-बोलने में दिक्कत आना।

-व्यवहार में परिवर्तन, चेहरे का टेढ़ा होना।

-शरीर को हिलाने में असमर्थता।

-लकवा ग्रस्त हिस्से में दर्द होना।

-मुंह से लार आना।

स्पाइन संबंधी समस्याएं

-लिखने और वजन उठाने में परेशानी होना।

-कमर में दर्द होना, इसमें कड़ापन महसूस होना।

-हाथों-पैरों में सुन्नता के साथ भारीपन महसूस होना।

-बांहों में कमजोरी व वस्तुओं को पकड़ने में दिक्कत।

स्पाइन संबंधी दिक्कत से करें बचाव

-नियमित 45 मिनट तक व्यायाम करें।

-कंप्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें, चंद मिनट टहलें।

-कम्प्यूटर का मानीटर सीधा रखना चाहिए।

-कुर्सी की बैक पर अपनी पीठ सटा कर रखना चाहिए।

-गर्दन में दर्द होने पर फिजियोथैरेपिस्ट से लें परामर्श।

chat bot
आपका साथी