अष्टमी और नवमी एक ही दिन, इस बार नव‍रात्रि आठ दिन की

दुर्गा पूजा की दशमी तिथि को मनाया जाने वाले दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। कहा जाता है कि दशहरा या विजयादशमी के दिन बिना शुभ मुहूर्त भी शुभ कार्यों को किया जा सकता है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 03:06 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 03:06 PM (IST)
अष्टमी और नवमी एक ही दिन, इस बार नव‍रात्रि आठ दिन की
विजयादशमी के दिन श्रीराम, मां दुर्गा, गणेश और हनुमान की अाराधना कर परिवार के मंगल की कामना की जाती है।

जेएनएन, कुरुक्षेत्र : हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल दशहरा या विजयादशमी का त्योहार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा हर साल दीपावली से ठीक 20 दिन पहले मनाया जाता है। हालांकि इस साल नवरात्रि नौ दिन के न होकर आठ दिन में ही समाप्त हो रहे हैं। दरअसल इस साल अष्टमी और नवमी का एक ही दिन पड़ रही है। 24 अक्टूबर को सुबह 6:58 मिनट तक ही अष्टमी है। इसके बाद नवमी लग जाएगी। जिसके चलते दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि अश्विन मास की दशमी तिथि को पूरे देश में दशहरा धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा की दशमी तिथि को मनाया जाने वाले दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। कहा जाता है कि दशहरा या विजयादशमी के दिन बिना शुभ मुहूर्त भी शुभ कार्यों को किया जा सकता है। इस दिन किए गए नए कार्यों में सफलता हासिल होती हैं। विजयादशमी या दशहरा के दिन श्रीराम, मां दुर्गा, गणेश और हनुमान की अाराधना कर परिवार के मंगल की कामना की जाती है।

मान्यता है कि दशहरा के दिन रामायण पाठ, सुंदरकांड, श्रीराम रक्षा स्‍तोत्र करने से मन की मुराद पूरी होती हैं। रविवार को रोग पंचक भी शुरू हो रहे हैं। यानि जब पंचक रविवार से शुरू हो तो उन्हें रोग पंचक कहा जाता है। इस दिन शाम 3:26 बजे से पंचक लग जाएंगे, लेकिन घनिष्ठा नक्षत्र रविवार को आने के कारण शुभ माध्यम योग भी बन रहा है। जो निरंतर शुभ देता रहेगा।

मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन माना जाता है शुभ

दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है। इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन कार्य शुभ माने गए हैं। विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।

शुभ मुहूर्त

दशमी तिथि प्रारंभ - 25 अक्टूबर को सुबह 07:41 मिनट से

विजय मुहूर्त - दोपहर 01:55 मिनट से 02 बजकर 40 तक।

अपराह्न पूजा मुहूर्त - 01:11 मिनट से 03:24 मिनट तक।

दशमी तिथि समाप्त - 26 अक्टूबर को सुबह 08:59 मिनट तक रहेगी।

यह है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्‍तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्त करने के कारण ही इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है।

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